
manmohan singh death
Manmohan sing death: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में दिल्ली में गुरुवार को निधन हो गया। वह लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे और कई बार इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुए थे। उनके निधन की सूचना मिलते ही देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। मनमोहन सिंह (manmohan sing death) उम्र से संबंधित समस्याओं से परेशान थे। वह हार्ट के मरीज थे। दिल की बीमारियों के इलाज के लिए कई बार उनकी हार्ट सर्जरी भी हुई थी।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan sing death) की कई बार बाईपास सर्जरी हो चुकी है। उनकी पहली बाईपास सर्जरी 1990 में यूनाइटेड किंगडम में हुई थी। इसके बाद, 2004 में उनके दिल में स्टेंट लगाया गया। फिर, 24 जनवरी, 2009 को एक और बाईपास सर्जरी की गई, जिसका संचालन मुम्बई के प्रसिद्ध कार्डियोवैस्कुलर और थोरेसिक सर्जन रमाकांत पांडा ने एक चिकित्सकों की टीम के साथ किया।
उम्र से संबंधित चिकित्सा स्थितियां वे स्वास्थ्य समस्याएं हैं जो उम्र के बढ़ने के साथ अधिक प्रचलित हो जाती हैं या जिनका मुख्य कारण वृद्धावस्था होती है। जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, उसके शरीर में कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं या मौजूदा समस्याओं को और बढ़ा सकते हैं।
एम्स के अनुसार, उनकी स्थिति अत्यंत गंभीर थी और उनका उपचार कई चिकित्सकों की टीम द्वारा किया जा रहा था। एम्स दिल्ली ने गुरुवार रात एक बयान में कहा, हम अत्यंत दुख के साथ सूचित करते हैं कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। 26 दिसंबर 2024 को घर पर अचानक बेहोशी की स्थिति में आने के बाद उन्हें एम्स दिल्ली की आपातकालीन सेवा में 8:06 बजे लाया गया। सभी प्रयासों के बावजूद, उन्हें बचाया नहीं जा सका और रात 9:51 बजे मृत घोषित कर दिया गया।
हृदय संबंधी रोग
इसमें उच्च रक्तचाप, एथेरोस्क्लेरोसिस, हृदय विफलता और अनियमित धड़कन शामिल हैं। उम्र के साथ रक्त वाहिकाएं कम लचीली हो जाती हैं और उनमें प्लाक का संचय हो सकता है, जिससे दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।
हड्डियों की समस्याएं
इसमें ऑस्टियोपोरोसिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस और फ्रैक्चर का बढ़ा हुआ खतरा शामिल है। हड्डियों की घनत्व में कमी आती है, जिससे वे कमजोर और टूटने योग्य बन जाती हैं।
दृष्टि और श्रवण संबंधी समस्याएं
इसमें मोतियाबिंद, उम्र से संबंधित मैक्युलर डिजनरेशन, ग्लूकोमा और प्रिस्बायोपिया (सुनने में कमी) शामिल हैं। इसका कारण समय के साथ आंखों और कानों में होने वाले परिवर्तन हैं।
इम्यून सिस्टम की कमजोरी
इम्यूनोसिनेसेंस के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
मेटाबॉलिक विकार
इसमें टाइप 2 डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल और मोटापे की समस्याएं शामिल हैं।
सांस की समस्याएं
एं क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टि व पल्मोनरी डिजीज (COPD), फेफड़ों की क्षमता कम होना। इसकी वजह फेफड़ों की लोच में कमी और श्वसन मांसपेशियों की कमजोरी।
यदि आप उम्र से संबंधित रोगों से बचाव करना है तो कई बातों का ध्यान रखना होगा। जिनमें से नियमित स्वास्थ्य जांच, स्वस्थ जीवन शैली, दवाओं का समय पर सेवन आदि बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। हालांकि उम्र बढ़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन उचित देखभाल और जीवनशैली के माध्यम से इन समस्याओं को नियंत्रित और कम किया जा सकता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
Updated on:
27 Dec 2024 11:36 am
Published on:
27 Dec 2024 09:12 am
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