75 साल के जनरल फिजिशियन फिर से उतरना चाहते हैं फील्ड में
आयरलैंड निवासी 75 वर्षीय सेवानिवृत्त जनरल फिजिशियन केन ईगन खुद संक्रमितों का इलाज करने के लिए काम पर वापस लौटना चाहते हैं। उनके इस जज्बे की इसलिए भी तारीफ हो रही है क्योंकि वे पेसमेकर और स्टेंट के सहारे अपनी जिंदगी जी रहे हैं। ऐसे में 70 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए घातक साबित हो रहे कोरोना वायरस के सामने काम करने के उनके जज्बे की सभी प्रशंसा कर रहे हैं।
आयरलैंड के स्वास्थ्य मंत्री साइमन हैरिस के अनुरोध पर वापस आने वाले देश के 50 हजार डॉक्टर्स में से केन भी एक हैं। वे बताते हैं कि 1950 में टीबी के संक्रमण से देश में हजारों जानें गई थीं, उसके बाद अब दुनिया को इतने बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है। 1956 में पोलियो और 1980 के दशक में एचआइवी महामारी के बाद भी हम सबने साथ लड़ाई कर इन महामारियों को हराया है तो हम कोरोना को भी हरा देंगे। यह सिर्फ चिकित्सकों की ही नहीं बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि वह कोरोना से लडऩे में मदद करें।
आयरलैंड निवासी 75 वर्षीय सेवानिवृत्त जनरल फिजिशियन केन ईगन खुद संक्रमितों का इलाज करने के लिए काम पर वापस लौटना चाहते हैं। उनके इस जज्बे की इसलिए भी तारीफ हो रही है क्योंकि वे पेसमेकर और स्टेंट के सहारे अपनी जिंदगी जी रहे हैं। ऐसे में 70 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए घातक साबित हो रहे कोरोना वायरस के सामने काम करने के उनके जज्बे की सभी प्रशंसा कर रहे हैं।
आयरलैंड के स्वास्थ्य मंत्री साइमन हैरिस के अनुरोध पर वापस आने वाले देश के 50 हजार डॉक्टर्स में से केन भी एक हैं। वे बताते हैं कि 1950 में टीबी के संक्रमण से देश में हजारों जानें गई थीं, उसके बाद अब दुनिया को इतने बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है। 1956 में पोलियो और 1980 के दशक में एचआइवी महामारी के बाद भी हम सबने साथ लड़ाई कर इन महामारियों को हराया है तो हम कोरोना को भी हरा देंगे। यह सिर्फ चिकित्सकों की ही नहीं बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि वह कोरोना से लडऩे में मदद करें।
87 साल की दादी ने हज की राशि कोरोना पीडि़तों की मदद के लिए दी
दुनिया भर में कोरोनोवायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और विभिन्न देशों की सरकारें इस कोरोनावायरस महामारी से लड़ रही है। लोग अपने घरों के अंदर रहने को मजबूर हैं जबकि गंभीर रूप से संक्रमित रोगी मौत से लड़ रहे हैं। मानवता की भी इस समय कठोर परीक्षा हो रही है क्योंकि कोरोना के चलते दिहाड़ी मजदूर और बहुत से गरीब छोटे दुकानदार अपना रोजगार भी खो चुके हैं। ऐसे में देश के अलग-अलग कोने से मदद को हाथ बढ़े और उन्होंने सरकारी राहत कोष में यथा संभव मदद की है। जम्मू-कश्मीर की ऐसी ही एक बुजुर्ग महिला 87 वर्षीय खालिदा बेगम ने भी पीडि़तों की मदद के लिए पांच लाख रुपए की दानराशि दी है। यह राशि उन्होंने अपने हज के लिए जोड़ी थी। लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते हज यात्रियों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है, इसलिए उनका सपना पूरा नहीं हो पाया। चेक के जरिए उन्होंने अपनी हज यात्रा की पूरी राशि स्थानीय सेवा भारती संगठन को भेंट कर दी है। उनके बेटे फारूख खान जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार हैं। मानवता की ऐसी ही मिसाल कुछ दिन पहले बेल्जियम की एक ९० वर्षीय बुजुर्ग महिला ने भी दिखाई जब उन्होंने कोरोना संक्रमित होने के बावजूद वेंटिलेटर लेने से मना कर दिया और इसे किसी युवा को देने के लिए कहा।
दुनिया भर में कोरोनोवायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और विभिन्न देशों की सरकारें इस कोरोनावायरस महामारी से लड़ रही है। लोग अपने घरों के अंदर रहने को मजबूर हैं जबकि गंभीर रूप से संक्रमित रोगी मौत से लड़ रहे हैं। मानवता की भी इस समय कठोर परीक्षा हो रही है क्योंकि कोरोना के चलते दिहाड़ी मजदूर और बहुत से गरीब छोटे दुकानदार अपना रोजगार भी खो चुके हैं। ऐसे में देश के अलग-अलग कोने से मदद को हाथ बढ़े और उन्होंने सरकारी राहत कोष में यथा संभव मदद की है। जम्मू-कश्मीर की ऐसी ही एक बुजुर्ग महिला 87 वर्षीय खालिदा बेगम ने भी पीडि़तों की मदद के लिए पांच लाख रुपए की दानराशि दी है। यह राशि उन्होंने अपने हज के लिए जोड़ी थी। लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते हज यात्रियों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है, इसलिए उनका सपना पूरा नहीं हो पाया। चेक के जरिए उन्होंने अपनी हज यात्रा की पूरी राशि स्थानीय सेवा भारती संगठन को भेंट कर दी है। उनके बेटे फारूख खान जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार हैं। मानवता की ऐसी ही मिसाल कुछ दिन पहले बेल्जियम की एक ९० वर्षीय बुजुर्ग महिला ने भी दिखाई जब उन्होंने कोरोना संक्रमित होने के बावजूद वेंटिलेटर लेने से मना कर दिया और इसे किसी युवा को देने के लिए कहा।