
Arthritis and lupus : गठिया (Arthritis) और ल्यूपस (Lupus) दोनों ही ऑटोइम्यून बीमारियां हैं, जिनमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही स्वस्थ ऊतकों और कोशिकाओं पर हमला करती है। इन दोनों बीमारियों में प्रमुख अंतर उनके प्रभाव और लक्षणों में होता है।
Arthritis and lupus : आधुनिक चिकित्सा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रवेश न केवल उपचार में मददगार साबित हो रहा है, बल्कि बीमारियों के प्रारंभिक चरण में निदान करने में भी क्रांतिकारी भूमिका निभा रहा है। हाल ही में पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी नई एआई तकनीक विकसित की है, जो ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे रुमेटॉइड आर्थराइटिस और ल्यूपस (Arthritis and lupus) की प्रगति का सटीक पूर्वानुमान लगा सकती है।
गठिया एक सूजन की बीमारी है, जो मुख्य रूप से जोड़ों (joint) को प्रभावित करती है। इसमें शरीर के जोड़ों में सूजन, दर्द, और कठोरता महसूस होती है। सबसे आम प्रकार है रुमेटॉइड आर्थराइटिस, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही जोड़ों पर हमला करती है। गठिया के लक्षणों में दर्द, सूजन, जोड़ों का कठोर होना, और कभी-कभी जोड़ों का विकृत होना शामिल हो सकते हैं। यह बीमारी उम्र के साथ बढ़ सकती है और यदि समय पर उपचार नहीं किया जाए तो यह जोड़ों को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकती है।
ल्यूपस एक गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ ऊतकों और अंगों पर हमला करती है। यह शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है, जैसे त्वचा, जोड़ों, दिल, गुर्दे, और रक्त की कोशिकाएं। सिस्टमेटिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (SLE) सबसे आम प्रकार है, जिसमें पूरे शरीर में सूजन और सूजन के कारण दर्द होता है। ल्यूपस के लक्षणों में थकान, त्वचा पर लाल चकत्ते, जोड़ों में दर्द, बुखार और सांस लेने में कठिनाई शामिल हो सकते हैं।
ऑटोइम्यून बीमारियों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ कोशिकाओं और टिशू पर हमला करती है। इसके परिणामस्वरूप टाइप 1 डायबिटीज, मल्टीपल स्केलेरोसिस, ल्यूपस और रुमेटॉइड गठिया (Arthritis and lupus) जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
इस समस्या का प्रारंभिक निदान और सही प्रबंधन बेहद जरूरी है, क्योंकि यह बीमारी व्यक्ति की जीवन गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि इन बीमारियों में अक्सर एक प्रीक्लिनिकल चरण होता है, जिसमें हल्के लक्षण या रक्त में कुछ विशेष प्रकार के एंटीबॉडी दिखाई देते हैं। यह चरण बीमारी की पहचान के लिए महत्वपूर्ण है।
जीपीएस (जेनेटिक प्रोग्रेशन स्कोर) नामक नई विधि, इस प्रीक्लिनिकल चरण से लेकर रोग के पूरी तरह विकसित होने तक की प्रगति का सटीक पूर्वानुमान लगा सकती है।
मौजूदा तकनीकों की तुलना में जीपीएस विधि 25 से 1,000 प्रतिशत अधिक सटीकता के साथ हल्के लक्षणों का निर्धारण कर सकती है। इस नई विधि का उपयोग करके रुमेटॉइड गठिया और ल्यूपस जैसी बीमारियों की पहचान वास्तविक समय के डेटा का उपयोग करके की गई।
इस तकनीक की सटीकता और दक्षता से यह साबित हुआ कि सही समय पर निदान होने से रोगियों के उपचार में सुधार लाया जा सकता है।
शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर डेजियांग लियू ने कहा कि एआई आधारित यह तकनीक विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है, जिनमें इस बीमारी का पारिवारिक इतिहास है या जो शुरुआती लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं।
जीपीएस का उपयोग करते हुए बीमारी की प्रगति का सटीक पूर्वानुमान लगाना न केवल उपचार प्रक्रिया को सरल बना सकता है, बल्कि इससे उन रोगियों को लक्षित किया जा सकता है, जो सबसे ज्यादा जोखिम में हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस नवाचार से न केवल ऑटोइम्यून बीमारियों के निदान में मदद मिलेगी, बल्कि यह अन्य जटिल रोगों के लिए भी एक मार्गदर्शक साबित हो सकता है।
एआई का सही उपयोग न केवल समय की बचत करेगा, बल्कि रोगियों को समय पर सही उपचार उपलब्ध कराने में भी सहायता करेगा।
यह तकनीक चिकित्सा जगत में एक नई क्रांति की शुरुआत है। रोगियों को सटीक निदान और उपचार प्रदान करने के साथ-साथ, एआई स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता को भी एक नई ऊंचाई तक ले जाएगा।
Published on:
09 Jan 2025 05:31 pm
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