
तेजी से बदलती लाइफ स्टाइल और हादसों की वजह से दांत संबंधी तकलीफें बढ़ रही हैं। दांत व्यक्ति की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। पर जब इनमें किसी तरह की कोई खराबी आ जाए या टूट जाए तो चेहरा की खूबसूरती भी खराब हो जाती है। दंत प्रत्यारोपण ही एकमात्र तकनीक है जिससे खराब या टूटे हुए दांत की जगह दूसरा दांत लग सकता है। नया दांत लगाते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखा जाता है जिससे दंत प्रत्यारोपण के दौरान या बाद में रोगी को किसी तरह की तकलीफ न हो। दंत प्रत्यारोपण के बाद कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिससे भविष्य में किसी तरह की कोई परेशानी न हो।
एक साथ बदल सकती है पूरी बत्तीसी
तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों के सभी दांत एक-एक कर खराब होने लगते हैं। तंबाकू और जर्दा के इस्तेमाल से मसूड़े कमजोर हो जाते हैं जिससे दांत हिलने लगते हैं और एक-एक कर गिर जाते हैं। सभी दांत एक साथ गिर गए हैं तो कंप्लीट डेंचर लगाने की प्रक्रिया पूरी करते हैं। इसमें पूरी बत्तीसी एक साथ बदल जाती है। हालांकि ये दांत निकालने वाले होते हैं जिन्हें खाना खाने के बाद या सोते वक्त निकालना पड़ता है। कंप्लीट डेंचर इंप्लांट जिन लोगों को लगाया जाता है उन्हें नियमित दंत रोग विशेषज्ञ से डेंचर को दिखाते रहना चाहिए। पुराने डेंचर से संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों को कंप्लीट डेंचर लगाने की सुविधा पूरी तरह मुफ्त है।
दूसरे दांत मजबूत तभी लग सकता इंप्लांट
दंत प्रत्यारोपण की दूसरी प्रक्रिया फिक्सड इंप्लांट या ब्रिज इंप्लांट की है। ये प्रक्रिया तभी संभव है जब आगे और पीछे के दांत मजबूत हों। जिसके सभी दांत गिर गए हैं तो ये प्रक्रिया संभव नहीं है। इस प्रक्रिया में जो नया दांत लगाया जाता है उसकी मजबूती आगे और पीछे मौजूद दांतों की मजबूती के आधार पर तय होती है। इसी की मजबूती के आधार पर नए दांत के लिए इंप्लांट लगाने के बाद उसपर दांत को फिक्स करते हैं। दांत बीच से टूट गया है तो ब्रिज इंप्लांट लगाकर टूटे हुए दांत की विकृति को दूर कर देते हैं।
हड्डी मजबूत तभी लग सकता टाइटेनियम इंप्लांट
हड्डी मजबूत है तभी टाइटेनियम का इंप्लांट लग सकता है जो कि परमानेंट इंप्लांट होता है। इसमें दांत के आकार का टाइटेनियम इंप्लांट हड्डी के अंदर लगाते हैं। कुछ समय तक इंप्लांट को छोड़ दिया जाता है जिससे इंप्लांट को हड्डी कवर कर ले और वे मजबूत हो जाए इसके बाद उसपर दांत लगाने की प्रक्रिया पूरी करते हैं। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद रोगी का दांत सामान्य की तरह दिखने लगता है और उसे किसी तरह की कोई परेशानी भी नहीं होती है।
डेंटल इंप्लांट से पहले सी.एम.सी.टी
डेंटल इंप्लांट लगाने से पहले रोगी की कोन बीन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (सी.एम.सी.टी) जांच करवाते हैं। इस जांच की मदद से ये देखते हैं कि रोगी को जो इंप्लांट लगना है उसका आकार यानि लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई का पता करते हैं। इसके साथ ही इस जांच की मदद से रोगी को इंप्लांट लगाने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना है जिससे प्रोसीजर के दौरान रोगी को कोई परेशानी न हो। प्रोसीजर से पहले रक्त की सभी जांचें करवाते हैं। हड्डी की स्थिति जानने के लिए एक्स-रे जांच भी कराई जाती है।
चिपकने वाली चीजें न खाएं
दंत प्रत्यारोपण के बाद सिगरेट, तंबाकू और पान मसाले का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। प्रत्यारोपण के बाद इनके इस्तेमाल से मसूड़ों में कार्सिनोजेनिक तत्त्व जाने का खतरा बना रहता है जिससे तकलीफ बढ़ सकती है। तंबाकू या पान मसाला चबाने से प्रत्यारोपित किए गए दांत को अधिक नुकसान होता है क्योंकि वे दांत दूसरे दांतों की तुलना में कमजोर होते हैं। ऐसे में इन पदार्थों को खाने से बचना चाहिए। जिनकी पूरी बत्तीसी बदली गई है वे उस आर्टिफिशियल दांत की साफ सफाई का खास खयाल रखें। रात को दांत निकालकर सोएं जिससे मसूड़ों को पूरा आराम मिल सके।
Updated on:
12 Feb 2021 02:37 pm
Published on:
12 Feb 2021 09:18 am
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