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मिल गई इस खतरनाक वायरस की वैक्सीन! पहली बार इंसानों में Vaccine ट्रायल पूरा

Nipah Virus Vaccine: निपाह वायरस के खिलाफ बनी नई वैक्सीन का पहला मानव ट्रायल सफल रहा। Lancet में प्रकाशित स्टडी में वैक्सीन सुरक्षित और इम्यून रिस्पॉन्स देने वाली पाई गई।

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भारत

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Dimple Yadav

Dec 24, 2025

Nipah Virus Vaccine

Nipah Virus Vaccine (photo- freepik)

Nipah Virus Vaccine: निपाह वायरस का नाम सुनते ही डर लगना स्वाभाविक है। इसकी मृत्यु दर ज्यादा होती है और अब तक इसके लिए कोई पक्की वैक्सीन उपलब्ध नहीं थी। लेकिन अब एक अच्छी खबर सामने आई है। निपाह वायरस के खिलाफ बनाई गई एक नई एक्सपेरिमेंटल वैक्सीन ने इंसानों पर अपनी पहली बड़ी जांच सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। यह जानकारी मशहूर मेडिकल जर्नल The Lancet में प्रकाशित हुई है।

इस नए ट्रायल में असल में हुआ क्या?

यह वैक्सीन सीधे निपाह के लिए नहीं, बल्कि हेंड्रा वायरस के लिए विकसित की गई थी। हेंड्रा और निपाह दोनों एक ही फैमिली के वायरस हैं और इनकी बनावट काफी हद तक मिलती-जुलती है। इसी वजह से वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि यह वैक्सीन निपाह के खिलाफ भी काम कर सकती है।

यह एक फेज-1 क्लिनिकल ट्रायल था, यानी इंसानों पर वैक्सीन की पहली टेस्टिंग। इसमें 18 से 49 साल के 192 स्वस्थ लोगों को शामिल किया गया। कुछ लोगों को वैक्सीन की एक या दो डोज अलग-अलग मात्रा में दी गई, जबकि कुछ को प्लेसीबो (नकली इंजेक्शन) दिया गया। ट्रायल अमेरिका में एक ही जगह पर हुआ।

सेफ्टी कैसी रही?

फेज-1 ट्रायल का सबसे बड़ा मकसद होता है, सुरक्षा (Safety)। इस मामले में नतीजे काफी राहत देने वाले हैं। ज्यादातर लोगों को इंजेक्शन की जगह हल्का या मध्यम दर्द हुआ। दर्द कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो गया। किसी को गंभीर साइड इफेक्ट, अस्पताल में भर्ती होने या मौत जैसी समस्या नहीं हुई। वैज्ञानिकों के मुताबिक, वैक्सीन का रिस्क प्रोफाइल स्वीकार्य है, जो शुरुआती स्टेज की वैक्सीन के लिए अच्छा संकेत माना जाता है।

इम्यून सिस्टम ने कैसे रिएक्ट किया?

दूसरा बड़ा सवाल था, क्या यह वैक्सीन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करती है? वैक्सीन लेने के लगभग एक महीने बाद शरीर में निपाह के खिलाफ एंटीबॉडी बनने लगीं। सिर्फ एक डोज से मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स नहीं मिला। वहीं, दो डोज लेने वालों में बेहतर असर दिखा। सबसे अच्छा रिजल्ट उन लोगों में देखा गया जिन्हें 28 दिन के अंतर से 100 माइक्रोग्राम की दो डोज दी गईं। दूसरी डोज के बाद कुछ ही दिनों में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी भी बढ़ीं, जो सीधे वायरस को कमजोर करने में मदद करती हैं।

इसे माइलस्टोन क्यों कहा जा रहा है?

अब तक निपाह वैक्सीन पर सारा काम सिर्फ जानवरों तक सीमित था। यह पहला मानव ट्रायल है जिसने दिखाया कि वैक्सीन इंसानों में सुरक्षित है और इम्यून रिस्पॉन्स पैदा कर सकती है। भारत और दक्षिण एशिया जैसे इलाकों के लिए, जहां निपाह का खतरा बार-बार सामने आता है, यह बड़ी उम्मीद है।

अभी क्या नहीं कहना चाहिए?

यह वैक्सीन अभी बाजार में आने के लिए तैयार नहीं है। फेज-2 और फेज-3 ट्रायल बाकी हैं, जिनसे पता चलेगा कि यह वैक्सीन असल जिंदगी में बीमारी, अस्पताल में भर्ती और मौत को रोक पाती है या नहीं।