मोटापे और कैंसर के बीच संबंध The link between obesity and cancer
शोध में पाया गया कि 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में मोटापे के कारण पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इसे लेकर एक अध्ययन किया गया, जिसमें पाया गया कि युवा पीढ़ी में यह बीमारी तेजी से पनप रही है। शोधकर्ता जोबेदा क्रूज-मोनसेरेट के अनुसार, “पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic cancer) की दर में हर साल लगभग एक प्रतिशत की वृद्धि हो रही है और यह 40 वर्ष की उम्र के लोगों में तेजी से पाई जा रही है।”
Obesity and pancreatic cancer risk : अधिकांश लोग नहीं पहचान पाते लक्षण
अध्ययन में पाया गया कि 50 वर्ष से कम आयु के आधे से अधिक लोग (53 प्रतिशत) पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic cancer) के शुरुआती लक्षणों को पहचान नहीं पाते। 37 प्रतिशत लोगों का मानना है कि वे अपने जोखिम को कम करने के लिए कुछ नहीं कर सकते, जबकि एक-तिहाई से ज्यादा लोग मानते हैं कि यह कैंसर केवल वृद्ध लोगों को प्रभावित करता है। इस भ्रांति को तोड़ने के लिए जागरूकता आवश्यक है। यह भी पढ़ें :
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जोबेदा क्रूज-मोनसेरेट के अनुसार, “हम अपने जीन को नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी जीवनशैली में सुधार कर सकते हैं।” स्वस्थ वजन बनाए रखने से न केवल पैंक्रियाटिक कैंसर (
Pancreatic cancer) का खतरा कम होता है, बल्कि टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग और अन्य कैंसर का जोखिम भी घटता है। मोटापा (Obesity) इन बीमारियों का प्रमुख कारण बनता जा रहा है, और इसे नियंत्रित करना बेहद महत्वपूर्ण है।
आनुवंशिक जोखिम की भूमिका
अमेरिकन कैंसर सोसायटी (एसीएस) के अनुसार, केवल 10 प्रतिशत पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic cancer) आनुवंशिक जोखिम के कारण होता है। इसमें बीआरसीए जीन, लिंच सिंड्रोम और अन्य आनुवंशिक कारक शामिल हैं। इसलिए, कई मामलों में स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से इस बीमारी का खतरा कम किया जा सकता है। यह भी पढ़ें :
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पैंक्रियाटिक कैंसर (
Pancreatic cancer) के खतरे को कम करने के लिए विशेषज्ञों का मानना है कि वजन नियंत्रण सबसे प्रभावी उपाय है। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और संतुलित जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।