मास्क न लगाने वाले ऐसे लोगों का तर्क है की जिस तरह हेलमेट लगाकर लोग लापरवाही से बाइक चलाते हैं, वैसे ही मास्क लगाने के बाद लोग वायरस से बचाव के तरीकों के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। इसी तर्क की वैज्ञानिकता जांचने के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) और किंग्स कॉलेज लंदन (Kings College London) के शोधकर्ताओ के दल ने यह अध्ययन किया। वैज्ञानिकों को शोध में इस बात का एक भी आधार नहीं मिला। बल्कि उनका कहना है कि मास्क लगाने वाले लोग अपने हाथ धोने को लेकर ज्यादा सतर्क रहते हैं।
वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों के एक समूह को मास्क पहनाकर और दूसरे समूह को बिना मास्क के रखा। उन्हें ऐसे वातावरण में रखा गया जहां पर सर्दी खांसी फैलाने वाले वायरसों की मौजूदगी की संभावना अधिक थी। 22 समीक्षात्मक परीक्षणों के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि जो प्रतिभागी मास्क लगा रहे थे, वे अपनी सतर्कता के प्रति ज्यादा गंभीर थे। जबकि मास्क न लगाने वाले प्रतिभागी अपने हाथ भी नियमित रूप से नहीं धो रहे थे। इस आधार पर वैज्ञानिक डॉक्टर जुलियन तांग का कहना है कि मास्क लगाने से लोगों को मनोवैज्ञानिक तौर पर प्रेरणा मिलती है कि जिससे वे खुद को सुरक्षित करने के लिए ज्यादा गंभीर कदम उठाते हैं। वे कहते हैं कि मास्क पहनने वाले से व्यवहार का यह बदलाव संक्रमण रोकने अहम है।