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Polio Awareness Week – जानें पोलियो ड्रॉप से जुड़ी अहम बातें

Pulse polio week - बच्चों को पल्स पोलियो की दवा पिलाने को लेकर अभिभावकों में कई तरह के दुुविधाएं व भ्रातियां हैं। इस लिए पोलियो जागरूकता सप्ताह के तहत हम आपको पोलियो की दवा पिलाने को लेकर कुछ अहम जानकारी दे रहे हैं।

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जयपुर

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Vikas Gupta

Aug 02, 2018

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बच्चों को पल्स पोलियो की दवा पिलाने को लेकर अभिभावकों में कई तरह के दुुविधाएं व भ्रातियां हैं। इस लिए पोलियो जागरूकता सप्ताह के तहत हम आपको पोलियो की दवा पिलाने को लेकर कुछ अहम जानकारी दे रहे हैं।

pulse polio week - पोलियो जागरूकता सप्ताह की शुरुआत हो रही है। देश को पोलियो मुक्त बनाने के लिए पूरे एक सप्ताह तक पोलियो को लेकर जन जागरुकता अभियान चलाया जाता है। देश में पोलियो को जड़ से खत्म करने के लिए 1995 में पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत की गई। इस अभियान के तहत नवजात से लेकर 5 साल के बच्चों को पल्स पोलियो की वैक्सीन (टीकाकरण) की दवा पिलाकर पोलियो के वायरस से बचाया जाता है। बच्चों को पल्स पोलियो की दवा पिलाने को लेकर अभिभावकों में कई तरह के दुुविधाएं व भ्रातियां हैं। इस लिए पोलियो जागरूकता सप्ताह के तहत हम आपको पोलियो की दवा पिलाने को लेकर कुछ अहम जानकारी दे रहे हैं।

पोलियो की दवा

पोलियो वायरल इंफेक्शन से होने वाली एक ऐसी बीमारी है जो कभी ठीक नहीं हो सकती। इसकी चपेट में हमेशा कम उम्र के बच्चे आते हैं। बच्चों के शरीर का कोई खास तौर पर पैर पाइरालाइज्ड हो जाता है इसके चलते बच्चे पैर से विकलांग हो जाते हैं। इसलिए उन्हें जितनी जल्दी हो सके इससे बचने का प्रयास करना है। नवजात बच्चे से लेकर 5 साल तक के बच्चों को पोलियो की खुराक जरुर पिलानी चाहिए। बच्चे जितने छोटे होते हैं उन्हें इंफेक्शन का खतरा उतना ही ज्यादा होता है। इसलिए जितनी जल्दी हो सके बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलानी चाहिए।

पोलियो ड्रॉप्स पिलाने की आयु -

नवजात से लेकर 5 साल तक के बच्चों पोलियो ड्रॉप पिलाकर पोलियो जैसी गंभीर बीमारी से बचाया जा सकता है। पोलियो की खुराक पिलाने से पोलियो होने की संभावना कम हो जाती है। पोलियो की दवा पिलाने से बच्चों में इंफेक्शन होने के खतरा नहीं रहता।

पोलियो का असर -

पोलियो का वायरस बच्चों की मांसपेशियों को कमजोर कर देता है। पोलियो के ज्यादातर मामलों में बच्चों के पैर पर पोलियो अटैक करता है। कुछ मामलों में पोलियो का वायरस बच्चों के सिर की मांसपेशियों पर भी असर करता है। जब ये वायरस बच्चों पर अटैक करता है तो कुछ बच्चों को इसमें बुखार आता है, सिर में दर्द होता है, गर्दन में अकड़न होती है, बांह या पैरों में दर्द होता है। लेकिन पोलियो वायरस अटैक करने के 70 प्रतिशत मामले एेसे होते हैं जिनमें बच्चों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते।

पोलियो का कई स्थाई इलाज नहीं है। पोलियो टीका ही इसका एक मात्र बचाव है। बच्चों को पोलियो ड्रॉप हर बार पिलाने जरुर है।