एक डेटा साइंटिस्ट ने गूगल सर्च पर हाल ही किए गए परिणामों का विश्लेषण कर दावा किया है कि आंखों में दर्द होना भी कोविड-19 का एक और संभावित लक्षण हो सकता है। डेटा वैज्ञानिक और लेखक सेठ स्टीफेंस-डेविडोवित्ज़ ने बताया कि इन दिनों कोविड-19 वायरस को लेकर लोग गूगल पर जो कुछ भी खोज रहे हैं वह अध्ययन के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण हैं। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब भी इससे जुड़े बेहद आम लक्षणों को ही सूचीबद्ध किया है। कुछ लोगों श्रवण शक्ति कम होने की भी शिकायत की है।
सभी वायरस की तरह इस वायरस के संचरण का मुख्य जरिया भी बूंदों या खांसने , छींकने के माध्यम से होता हैं। इससे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से यह तुरंत आपके गले और नाक के पिछले हिस्से में जमा हो जाता है और वे जो भी काम कर रहे हैं उसे रोक देता है। धीरे-धीरे यह अपने प्रजन चक्र को तेजी से बढ़ाते हुए हमारे दूसरे महत्त्वपूर्ण अंगों पर भी हमला कर देता है। इससे धीरे-धीरे सांस लेने में तकलीफ, सूखी खांसी और गले में खराश होती है। दर्द इस बात का संकेत हे कि कोशिकाएं संक्रमित हो चुकी हैं और आपको इलाज की जरुरत है। इसके बाद बुखार आता है। प्रतिरक्षा प्रणाली पाइरोजींस नाम का रसायन उत्पन्न करती है जो हमारे मस्तिष्क को शरीर को तापमान बढ़ाने का निर्देश देते हैं जिससे आपको 37.8 सेल्सियस या उससे तेज बुखार होता है।
कुछ मामलों में संक्रमित लोगों ने दस्त की शिकायत भी की है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कोविड-19 वायरस हमारी नाक के माध्यम से भी शरीर में प्रवेश करता है। जहां से यह आंत तक फैल जाता है। यहां तक कि हल्के लक्षणों वाले लोगों में भी दस्त के लक्षण हो सकते हैं। इसका मतलब यह है कि मल के माध्यम से वायरस के संक्रमण का खतरा भी है। इसकी भी चिकित्सा पेशेवरों द्वारा तत्काल जांच की जा रही है। हम हर दिन इस वायरस के बारे में नई चीजें सीख रहे हैं। इसलिए अभी खुद को सेल्फ आइसोलेशन और सोशल डिस्टैंसिंग ही सर्वोत्तम इलाज है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि सामान्यत: बेवजह भी हम 60 मिनट में कम से कम 16 बार से ज्यादा अपने चेहरे को छूते हैं, कोरोना वायरस के संक्रमण में कोविड-19 के शरीर तक पहुंचने का यह सबसे आसान और तेज तरीका है। चेहरे को हाथों से बार-बार छूने पर नोवेल कोरोना वायरस का संक्रमण कई गुना बढ़ जाता है। दरअसल, आंखें, मुंह और नाक शसरीर के वे संवेदनशील हिस्से हैं जो आसानी से संक्रमण के शरीर में पहुंचने का जरिया बन सकते हैं। एक वैज्ञानिक शोध में सामने आया कि हम औसतन हाथों से एक घंटे में 16 बार से अधिक अपने चेहरे को छूते हैं। हम अपने चेहरे को इतनी बार छूते हैं कि इस दौरान बार-बार हाथ धोने से भी वायरस का शरीर तक पहुंचने का खतरा बहुत अधिक होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि दस्ताने पहनने से आप अपने चेहरे को बार-बार छूने की इस आदत से छुटकारा पा सकते हैं। दरअसल यह इतनी सामान्य आदत है कि हम में से ज्यादातर इसके बारे में सोचते तक नहीं हैं। लेकिन इसआदत के चलते हम फ्लू, कोल्ड और अब कोरोना वायरस के शिकार हो रहे हैं।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि व्यापक निगरानी और हस्तक्षेप के साथ सोशल डिस्टैंसिंग का सख्ती से पालन नहीं किया जाता है तो पूरी दुनिया में मृतकों की संख्या लाखों तक पहुंच सकती है। क्योंकि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि वायरस सर्द मौसम में तेजी से फैलता है या नहीं। नए हार्वर्ड मॉडल के अनुसार वायरस के असर से पूरी दुनिया 2022 में उबर पाएगी। विश्वविद्यालय का यह अनुमान अमरीका में कोरोना के वर्तमान परिदृश्य पर आधारित है। अध्ययन से पता चलता है कि जब तक महामारी जारी रहती है तब तक बचाव के उपायों के बीच की अवधि भी उसी अनुपात में बढ़ जाती है।