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मेंटल हैल्थ: कोरोना में रिमोट वर्किंग, मानसिक स्वास्थ्य के लिए वरदान है या अभिशाप?

locationजयपुरPublished: Nov 11, 2020 11:29:33 am

Submitted by:

Mohmad Imran

कोरोना वायरस के कारण जीवन में एक ठहराव सा आ गया है, यह हम सभी के लिए अपनी तरह का पहला अनुभव है

मेंटल हैल्थ: कोरोना में रिमोट वर्किंग, मानसिक स्वास्थ्य के लिए वरदान है या अभिशाप?

मेंटल हैल्थ: कोरोना में रिमोट वर्किंग, मानसिक स्वास्थ्य के लिए वरदान है या अभिशाप?

चीन के वुहान शहर (Vuhan City, China) से पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाले कोरोना वायरस महामारी (Covid-19) के चलते जीवन एक ठहराव पर आ गया है। कोविड-19 के प्रकोप (Corona Pandemic) ने हमारे व्यक्तिगत जीवन को बहुत प्रभावित किया है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर हमारी नौकरियों और पेशेवर जीवन पर पड़ा है। कुछ राहत के बावजूद घनी आबादी वाले शहरों और कस्बों में बढ़ते कोरोना चार्ट को देखते हुए, लोग अब भी तनाव (Stress) में रहने को विवश हैं। लेकिन घर से काम कर रहे प्रोफेशनल्स इस समय जिन मनोवैज्ञानिक विकारों (Psychological Disorders) से गुजर रहे हैं, उन्हें इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
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‘घर से काम करना’ इन दिनों तनावपूर्ण क्यों है?
दरअसल, महामारी में होम सेटअप से घर के आरामदायक माहौल में काम करने का विकल्प (Work From Home) कहानी का सिर्फ एक पहलू है। इस तथाकथित ‘वर्क फ्रॉम होम’ लग्जरी के अलावा भी बहुत कुछ है। इसमें कोई शक नहीं कि घर से काम करने का विकल्प कर्मचारियों को हल्के-फुल्के परिचित माहौल में अपनी सुविधा के अनुसार काम करने का फ्लेक्सिबल शिड्यूल देता है। लेकिन, हाल ही हुए एक सर्वे में, पेशेवरों ने ‘घर से काम’ करने के विकल्प पर बेबाकी से अपनी राय रखी है। सर्वे के आंकड़ों को देखते हुए, यह समझना बहुत आसान है कि घर के सुविधाजनक काम के माहौल की धारणा के उलट वास्तव में घर से काम करना कितना मुश्किल है। दिल्ली (Delhi), चंडीगढ़ (Chandigarh), मुम्बई (Mumbai), बैंगलुरू (Bengluru), हैदराबाद (Hydrabad) और कोलकाता (Calcutta) सहित देश के अन्यय मेट्रों में आयोजित किए गए सर्वे के महत्वपूर्ण निष्कर्ष इस प्रकार हैं।

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54 फीसदी बोले अवसाद, तनाव में हुई वृद्धि
सर्वे में भाग लेने वाले मेट्रों शहरों के लगभग 54 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि ‘वर्क फ्रॉम होम’ के दौरान उन्हें हल्के से लेकर गंभीर सिरदर्द की शिकायत, नींद का गड़बड़ाया हुआ पैटर्न (स्लीप एप्निया), नींद न आना, रातों को अचानक आंख खुल जाना जैसी समस्याएं महामारी में घर से काम करने के दौरान रोजमर्रा की परेशानी बन गई हैं। इसके अलावा इन पेशेवरों ने यह भी कहा कि उन्हें हमेशा काम और महामारी को लेकर तनाव, चिंता और भय बना रहता है। अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं करने का लगातार डर उनके संकटों को और भी बढ़ा रहा है।

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मानसिक स्वास्थ्य को दरकिनार किया जा रहा है
वहीं, सर्वे में 66 फीसदी उत्तरदाताओं ने यह भी बताया कि नियोक्ता और टीम लीडर लगातार उनके मानसिक स्वास्थ्य को दरकिनार कर काम का दबाव बढ़ाए जा रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य का हवाला देने वाले इन उत्तरदाताओं का यह भी कहना है कि घर से काम करने के दौरान वे उतने फोकस, अनुशासित और प्रोडक्टिव नहीं हैं जितना कि ऑफिस में महसूस करते हैं। लगातार लंबे समय तक तनाव और चिंता में बने रहना कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकता है।

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मल्टी-टास्किंग स्किल अब पुरानी हो गई
सर्वे में 41 फीसदी पेशेवरों ने स्वीकार किया कि मल्टी-टास्किंग कौशल (Multi Tasking Skill) अब लोकप्रिय नहीं रहा। कोरोना महामारी से पहले कर्मचारी खुद घर से काम करने के इच्छुक रहते थे और इसे मल्टी-टॉस्किंग के तहत काम करने में वे लुत्फ महसूस करते थे। लेकिन महामारी के दौरान, लगातार कई महीनों से एक जैसी जीवनशैैली, तमाम प्रतिबंधों, स्वच्छता संबंधी नियमों और घर से काम करने के बावजूद बच्चों की देखभाल, घर के काम और ऑफिस के काम की समय सीमा को वक्त से पूरा करने के बीच एक ब्रेक का समय मिलना भी मुश्किल हो चला है। ऐसे में वे वर्क फ्रॉम होम के विकल्प से अब उक्ता गए हैं।

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अपने मानसिक स्वास्थ्य को यूं रखें चुस्त-दुरुस्त
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और ‘स्रोटा वैलनेस’ के संस्थापक एवं सीईओ प्रवेश गौर का कहना है कि कोरोना के आगमन और घर से काम करने के चलते सभी सेक्टर्स में कर्मचारी इस समय बेहद दबाव में हैं। ऐसे में ‘न्यू नॉॅर्मल’ (New Normal) को जीवन में अपनाते हुए स्वस्थ और शांत मन से वर्तमान परिवेश के साथ तालमेल बिठाने का प्रयास करना ही इस समय की प्राथमिकता है। आइए जानते हैं किस तरह हम अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाकर अवसाद और तनाव से बच सकते हैं।

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01. सहयोग करें, सहयोग पाएं
जिम्मेदारी, काम और निजी परेशानियां हम सभी के जीवन का हिस्सा हैं। लेकिन महामारी के इस दौर में इनसे अकेले ही जूझते रहने का कोई तुक नहीं है। आपके कार्यालय के साथियों की तरह आपके पास घर पर भी ‘परिजनों’ की एक कोर टीम है। काम का दबाव होने या तनाव महसूस करने पर उनसे सहयोग मांगे, उनकी मदद से जिम्मेदारियों को निपटाएं ताकि आपके मन को भी शांति मिले। ऐसा ही उन्हें भी कहें ताकि वे भी अपनी समस्याओं से अकेले जूझने की बजाय आपकी मदद ले सकें।

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02. ‘खुद के लिए भी समय निकालें
महामारी हो या सामान्य हालात, अक्सर कामकाज की आपाधापी में हम खुद को समय ही नहीं देते। खुद से रोज की एक मुलाकात बहुत जरूरी है। इसलिए काम के दरम्यान, आधे घंटे का समय निकालें। दिमाग को शांत और आराम देने के लिए आप दिमागी कसरत जैसे अअपना पसंदीदा संगीत सुनना, घर पर मसाज, प्रेडिक्योर या पसंद की कोई रेसिपी ट्राय करना, अकेले वॉक करना और ताजा हवा में सांस लेना ताकि आप फे्रश महसूस करें और खुद को चार्ज कर सकें।

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03. काम से नियमित अंतराल पर ब्रेक लें
अगर आप घर पर काम करने के दौरान लगातार कुर्सी या सोफे पर बैठकर काम करते हैं तो आपको स्वास्थ्य संबंधी कई गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप अब भी काम से ब्रेक नहीं लेते हैं तो आज से ही ऐसा करना शुरू कर दें। काम से कुछ दिनों के अवकाश के लिए ऑफिस में आवेदन कर दें। आप वास्तव में इसके हकदार हैं। इसे इसलिए कम आंकने की गलती न करें कि लोग इसे किस नजरिए से देखेंगे। दूसरे इसे बहानेबाजी समझें तो उन्हें नजरअंदाज करें। एक व्यक्ति के लिए अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना उतना ही महत्वपूर्ण है जितनी उसकी शारीरिक फिटनेस जरूरी होती है। जिंदगी की खुशियां हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी निर्भर करती हैं। यह दोनों एक साथ चलती हैं।

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