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EXPERT INTERVIEW : डेढ़ से दो मिनट तक हाथ पर सेनेटाइजर का रहना जरूरी, तभी मरेगा कोरोना

कोरोना महामारी से बचने के लिए चिकित्सक, शोध के लिए वैज्ञानिक व तकनीकी विशेषज्ञों की टीम दिन-रात जुटी है। स्वास्थ्य सेवा में नैनो टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ऑफ सैंट लुइस अमरीका में रिसर्च साइंटिस्ट के पद पर कार्यरत डॉ. रमेश रालिया से इस विषय पर बातचीत की गई। उनसे पत्रिका संवाददाता रमेश कुमार सिंह ने बातचीत की। पेश है बातचीत के संपादित अंश-

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EXPERT INTERVIEW

डॉ. रमेश रालिया की नैनो पार्टिकल में विशेषज्ञता है। इसका मुख्य रूप से प्रयोग कृषि, मेडिकल से जुड़ी तकनीक में किया जाता है। वह भारत में इफ्को के नैनो बायोटैक्रोलॉजी सेंटर में हैड रिसर्च व डेवलपमेंट का काम देख रहे हैं। वह मूलत: जोधपुर के खारियाखंगास के रहने वाले हैं।
सवाल : संक्रमण रोकने में नैनो टेक्नोलॉजी कैसे सहायक है?
कोरोना वायरस का आकार 76 से 80 मीटर होता है। शरीर इस वायरस को रोकने के लिए एंटीबॉडी बनाता है। इस वायरस के ऊपर एक प्रकार के प्रोटीन की लेयर होती है जिसे तोडऩे के लिए नैनो टैक्रोलॉजी का प्रयोग किया जा सकता है।
सवाल : इसको रोकने के लिए मास्क का प्रयोग कितना कारगर है?
यह समझने वाली बात है कि सर्जिकल, कपड़े, एन 95 मास्क संक्रमण को रोकने में सौ फीसदी कारगर नहीं है। एन 95 मास्क की जाली 300 नैनो मीटर की है। वायरस को रोकने के लिए 76 नैनो मीटर से कम आकार की जाली वाला मास्क होना चाहिए। किसी के खांसने, छींकने से ड्रॉपलेट्स से भी बचाव होता है।
सवाल : क्या 70 प्रतिशत अल्कोहल वाले सेनेटाइजर वायरस मरता है?
दरअसल, सत्तर प्रतिशत अल्कोहल व एथेनॉल वाला सेनेटाइजर वायरस को 99 प्रतिशत मारने में सक्षम है। जरूरी है कि यह त्वचा के सम्पर्क में एक से डेढ़ मिनट तक रहे। अल्कोहल बमुश्किल 30 सेकंड में वाष्पित हो जाता है। प्रयोग करते समय ध्यान रखें की सेनेटाइजर की नमी एक से डेढ़ मिनट बनी रहे तभी कोरोना वायरस मरता है।
सवाल : क्या वायरस के खात्मे के लिए कोई काम हो रहा है?
नैनो तकनीक से नॉन एल्कोहलिक सेनेटाइजर बनाया गया है। पुणे की एक कंपनी ने नैनो सिल्वर से एक सेनेटाइजर बनाया है जो एल्कोहल फ्री है। नीम के औषधीय तत्वों व कुछ ऑर्गैनिक हैंड सेनेटाइजर बनाने पर काम हो रहा है। साथ ही इसकी कीमत भी करीब दस गुना कम है। त्वचा के लिए नुकसानदेय नहीं है। हालांकि इसकी दवा पर भी काम हो रहा है।
सवाल : क्या सब्जी, फल और दूध आदि से भी कोरोना वायरस आ सकता है?
पौधों व मानव के वायरस अलग होते हैं। जो वायरस पौधे में होता है वह मानव में नहीं हो सकता है। कोरोना वायरस के संक्रमण के लिए पशुओं और मानव कोशिकाओं का होना जरूरी होता है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए फलों और सब्जियों को क्लोरीनयुक्त गरम पानी से घोल बनाकर करीब 20-25 मिनट तक डालकर रखें। इसके बाद ही निकालेेंं। वहीं दूध आदि में यह 3-4 घंटे से ज्यादा जिंदा नहीं रहता है। दूध को 70 डिग्री तापमान पर 20 मिनट गरम करें। कच्चा दूध न पीएं।