180 प्रोटीन के गुण शामिल
वैज्ञानिकों ने इस वायरस का नाम बैक्टीरियोफेज या फेज कैप्सिड रखा है। यह वायरस का ही एक प्रकार है जो दरअसल एंटी-बायोटिक दवाओं के विकल्प के रूप में तैयार किए गए थे। ये आमतौर पर रोगाणुओं अधिकतर जीवाणुओं को खाकर जिंदा रहते हैं। शोध के प्रमुख लेखक डैनियल लॉस्टर ने बताया कि यहनया वायरस संक्रामक नहीं है और इसमें 180 प्रोटीन के गुण शामिल हैं जो इसके लिए रिसेप्टर्स की तरह काम करते हैं। इसलिए यह इन्फ्लूएंजा वायरस को धोखा देने में सफल रहता है। दूसरे शब्दों में हम इन्फ्लूएंजा वायरस को निष्क्रिय करने के लिए बैक्टीरियोफेज वायरस का उपयोग करते हैं। टीम काकहना है कि अभी भी बहुत काम करना बाकी है। वैाानिकों को विश्वास है कि यह वायरस तकनीक उन दवाओं को बनाने में काम आ सकती है जो कोरोना वायरस के संक्रमण को रोक सकती हैं। अगर सफता मिलती है तो यह वायरस भविष्य के किसी भी कोरोनोवायरस के प्रकोप के लिए संभावित हथियार के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
क्या होता है बैक्टीरियोफेज
जीवाणु भोजी या बैक्टीरियोफ़ेज (Bacteriophage) जीवाणुओं को संक्रमित करने वाले विषाणु जीवाणुभोजी या बैक्टीरियोफेज या बैक्टीरियोफाज कहलाते हैं। एक बैक्टीरियोफेज एक प्रकार का वायरस है जो बैक्टीरिया को संक्रमित करता है। वास्तव में, “बैक्टीरियोफेज” शब्द का शाब्दिक अर्थ “बैक्टीरिया खाने वाला” है, क्योंकि बैक्टीरियोफेज अपने मेजबान कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं। सभी बैक्टीरियोफेज एक न्यूक्लिक एसिड अणु से बने होते हैं जो प्रोटीन संरचना से घिरा होता है। एक बैक्टीरियोफेज खुद को एक अतिसंवेदनशील जीवाणु से जोड़ता है और मेजबान सेल को संक्रमित करता है। संक्रमण के बाद, बैक्टीरियोफेज बैक्टीरिया के सेलुलर तंत्र को बैक्टीरिया के घटकों के उत्पादन से रोकने के लिए अपहरण कर लेता है और इसके बजाय कोशिका को वायरल घटकों का उत्पादन करने के लिए मजबूर करता है। आखिरकार, नए बैक्टीरियोफेज लसिका नामक एक प्रक्रिया में जीवाणु से इकट्ठा होते हैं और फट जाते हैं। बैक्टीरियोफेज कभी-कभी संक्रमण प्रक्रिया के दौरान अपने मेजबान कोशिकाओं के जीवाणु डीएनए के एक हिस्से को हटा देते हैं और फिर इस डीएनए को नए मेजबान कोशिकाओं के जीनोम में स्थानांतरित करते हैं। इस प्रक्रिया को पारगमन के रूप में जाना जाता है।
ऐसे काम करता है बैक्टीरियोफेज
शोधकर्ताओं का कहना है कि फेज वायरस चरणबद्ध तरीके से कोविड-19 जैसे फ्लू के वायरस को फेफड़ों की कोशिकाओं की नकल कर एक तरह से अपने जाल में फंसाता है। इसके बाद अपने जाल में फंसे फ्लू के वायरस की सतह को हेमाग्लुटिनिन नाम के प्रोटीन रिसेप्टर्स से ढक देता है, जो फ्लू वायरस को अप्रभावी बना देता है।
बहुत काम का है वायरस
-निमोनिया में सांस लेने में तकलीफ होने पर उसके इलाज करने में
-घावों को कीटाणुओं को नष्ट कर जल्द ठीक करने में
-खाना फैक करने के एंटीबैक्टीरियल फूड रैप के रूप में
-फूड पॉइजनिंग में शरीर को विषाक्तता से बचाने में
-वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे कोविड-19 वायरस से लडऩे में भी मदद मिल सकती है। हालांकि उस पर परीक्षण करना बाकी है
-गणितीय मॉडल और क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप अध्ययनों से यह भी पता चला है कि बैक्टीरियोफेज वायरस एवियन फ्लू वायरस सहित वायरस के अन्य प्रकारों के खिलाफ भी प्रभावी था
-शोध के अन्य शोधकर्ता क्रिश्चियन हैकेनबर्गर का कहना था कि पशुओं और कोशिकाओं पर प्रयोग करने से पता चला कि फेज कैप्सिड मानव फेफड़ों के ऊतकों में फ्लू को बेअसर करने में भी सक्षम था और वायरस पुन: प्रजनन को भी रोक रहा था