
Side effects of rice
Side effects of rice : भारतीय भोजन में रोटी के साथ चावल (side effects of rice) भी एक प्रमुख आहार है, जिसे अधिकांश लोग पसंद करते हैं और कुछ क्षेत्रों में तो केवल चावल का ही सेवन किया जाता है। जैसे कि छत्तीसगढ़ और दक्षिण भारत में चावल का प्रचलन बहुत अधिक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो लोग प्रतिदिन चावल का सेवन करते हैं, उन्हें इसके कई स्वास्थ्य संबंधी नुकसान हो सकते हैं।
मोटापे की समस्या
सफेद नियमित चावल में कार्बोहाइड्रेट की उच्च मात्रा होती है। यदि इसे प्रतिदिन खाया जाए, तो यह मोटापे की समस्या को जन्म दे सकता है। इसके अलावा, चावल (side effects of rice) खाने के कुछ समय बाद फिर से भूख लगने लगती है, जिससे व्यक्ति अधिक खाने के लिए प्रेरित हो जाता है, जो वजन बढ़ाने का कारण बनता है।
मेटाबॉलिज्म को नुकसान
सफेद चावल का नियमित सेवन आपके मेटाबॉलिज्म प्रणाली पर प्रभाव डालता है। विभिन्न अनुसंधानों से यह स्पष्ट हुआ है कि अधिक मात्रा में सफेद चावल (side effects of rice) का सेवन करने से मेटाबॉलिक सिंड्रोम का जोखिम बढ़ सकता है।
डायबिटीज
चावल का रोजाना सेवन करने से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। दरअसल, चावल में हाई ग्लाइसेमिक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के ब्लड शुगर लेवल को तेजी से बढ़ता है और डायबिटीज की स्थिति को और खराब कर सकता है।
हार्ट की समस्या
विशेषज्ञों के अनुसार, सफेद चावल का सेवन हृदय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से चावल का सेवन करते हैं, उन्हें हृदय संबंधी बीमारियों का अधिक जोखिम हो सकता है। इस स्थिति में, सफेद चावल के स्थान पर ब्राउन राइस या रेड राइस का विकल्प चुनना उचित हो सकता है।
कोलेस्ट्रोल का बढ़ना
जो व्यक्ति प्रतिदिन चावल का सेवन करते हैं, उनके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स और खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है। विशेष रूप से, जिन लोगों को पहले से ही उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, उन्हें चावल का सेवन सीमित करना चाहिए।
खांसी और एलर्जी
कुछ व्यक्तियों को चावल के प्रति संवेदनशीलता होती है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें खांसी, चकत्ते और दानों जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि आप इन लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो चावल का सेवन कम करने या उसे पूरी तरह से समाप्त करने पर विचार करना उचित हो सकता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
Published on:
13 Sept 2024 05:49 pm
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