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प्रीमेच्योर एजिंग के कारण व लक्षण पहचानें, बचाव संभव

बुढ़ापा वैसे तो 55-60 वर्ष के बाद आता है लेकिन कई लोगों में यह जल्दी आने लगता है। मसलन 35-40 वर्ष के उम्र में भी बुढ़ापे के लक्षण दिखने लगते हैं। इसे प्रीमेच्योर एजिंग कहते हैं।

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प्रीमेच्योर एजिंग के कारण व लक्षण पहचानें, बचाव संभव

प्रीमेच्योर एजिंग के कारण व लक्षण पहचानें, बचाव संभव

बुढ़ापा वैसे तो 55-60 वर्ष के बाद आता है लेकिन कई लोगों में यह जल्दी आने लगता है। मसलन 35-40 वर्ष के उम्र में भी बुढ़ापे के लक्षण दिखने लगते हैं। इसे प्रीमेच्योर एजिंग कहते हैं। जानते हैं कि कुछ लक्षणों के बारे में जिनसे प्रीमेच्योर एजिंग का पता लगाकर बचाव किया जा सकता है।
जल्दी बुढ़ापे के कारण
कोई भी नशा जैसे अल्कोहल या स्मोकिंग, स्टेरॉइड लेना, दिल के साथ सेल्स को भी नुकसान पहुंचाते हैं। तनाव-अवसाद, इससे मानसिक थकान होती है। अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों की आशंका बढ़ती है। इसके अलावा फास्ट-जंक फूड खाना, कम या ज्यादा सोना, दिन में सोना या रात में जागना और ज्यादा मीठा खाने से कोलेजेन और इलैस्टस्नि जैसे प्रोटीन को नुकसान होता है। इससे कुछ समय बाद त्वचा ढीली पडऩे लगती है। स्टूल या यूरिन को रोकने से किडनी पर असर पड़ता है। ज्यादा नमक खाना, ज्यादा देर बैठना और प्रदूषित क्षेत्रों में रहना आदि भी इसके कारण हो सकते हैं।
इन लक्षणों से करें पहचान

चेहरे पर ïझुर्रिया पडऩे का सीधा संबंध अधिक उम्र बढऩे से है। त्वचा में रूखापन और उनमें खुजली होना, याददाश्त में कमी, बालों का झडऩा व सफेद होना, कपड़ों का कमर पर टाइट और पैरों में ढीला होना, नींद का चक्र बिगडऩा, पहले जितना वजन, उठने में दिक्कत होना और आंखों का धंसने के साथ उदासी आना आदि लक्षण होते हैं। वैसे तो बालों का झडऩा और सफेद होना कम उम्र में भी हो सकता है। पर ज्यादा दिक्कत प्रीम्चयोर एजिंग के लक्षण हैं।
मन से दवा लेने से बचें
प्रीमेच्योर एजिंग को रोकने के लिए अच्छी दिनचर्या के साथ हैल्दी डाइट बहुत जरूरी है। एंटीऑक्सीडेंट्स वाली चीजों के साथ भरपूर मात्रा में फल-सब्जियां, सूखे मेवे खाने चाहिए। अपने मन से कोई दवा न लें। यह भी जल्दी बुढ़ापे का कारण होते हैं। कैमिकल वाले प्रोडक्ट्स और मिलावटी खाने से भी बचें। ये मैलेनिन को नुकसान पहुंचाकर बालों को सफेद करते हैं। साथ ही नियमित व्यायाम करें। हर रोज करीब 30-45 मिनट व्यायाम जरूरी है। 7-8 घंटे की नींद लें। नींद की कमी से शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर बढऩे लगता है। इससे कोशिकाएं जल्दी मृत होने लगती हैं।
डॉ. विशाल गुप्ता, फिजिशियन, एसएमएस मेडिकल कॉलेज