कैसे पहचानें
सबसे बड़ी पहचान फोकस करने में परेशानी है, जो प्राय: डिप्रेशन, एंजायटी, अनियंत्रित शुगर से होती है। जैसे, बीपी बढ़ा हुआ है तो सिर में भारीपन, उलझन रहेगी, जिससे किसी भी बात पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता।
सबसे बड़ी पहचान फोकस करने में परेशानी है, जो प्राय: डिप्रेशन, एंजायटी, अनियंत्रित शुगर से होती है। जैसे, बीपी बढ़ा हुआ है तो सिर में भारीपन, उलझन रहेगी, जिससे किसी भी बात पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता।
दो केस स्टडी, सबक एक
केस-1 : परिवार ने अल्जाइमर माना, निकला डिप्रेशन
62 वर्ष के बुजुर्ग को डॉक्टर के पास अल्जाइमर का इलाज करवाने के लिए लाया गया। जांच में सामने आया कि बुजुर्ग को अल्जाइमर नहीं है, बल्कि हादसे में बेटे को गंवाने के बाद वे डिपे्रशन में चले गए, जिससे याददाश्त पर गहरा असर पड़ा। इलाज के बाद याददाश्त फिर लौट आई।
केस-2: ब्रेन ट्यूमर की वजह से कमजोर याददाश्त
एक वृद्ध को डॉक्टर्स ने अल्जाइमर बताया। परिवार ने मान भी लिया, लेकिन लखनऊ मेडिकल कॉलेज में जब जांच की गई तो पता चला मरीज को ब्रेन ट्यूमर है, जिसकी वजह से उनकी याददाश्त कमजोर हो रही थी। इसलिए ऐसे रोगियों का सही डाइग्नोस करना चाहिए।
केस-1 : परिवार ने अल्जाइमर माना, निकला डिप्रेशन
62 वर्ष के बुजुर्ग को डॉक्टर के पास अल्जाइमर का इलाज करवाने के लिए लाया गया। जांच में सामने आया कि बुजुर्ग को अल्जाइमर नहीं है, बल्कि हादसे में बेटे को गंवाने के बाद वे डिपे्रशन में चले गए, जिससे याददाश्त पर गहरा असर पड़ा। इलाज के बाद याददाश्त फिर लौट आई।
केस-2: ब्रेन ट्यूमर की वजह से कमजोर याददाश्त
एक वृद्ध को डॉक्टर्स ने अल्जाइमर बताया। परिवार ने मान भी लिया, लेकिन लखनऊ मेडिकल कॉलेज में जब जांच की गई तो पता चला मरीज को ब्रेन ट्यूमर है, जिसकी वजह से उनकी याददाश्त कमजोर हो रही थी। इसलिए ऐसे रोगियों का सही डाइग्नोस करना चाहिए।
क्यों होता है
फैमिली हिस्ट्री: अल्जाइमर या डिमेंशिया होने की कोई स्पष्ट वजह तो नहीं है। लेकिन कुछ बातें जरूर उत्तरदायी हो सकती हैं, जैसे फैमिली हिस्ट्री या वंशानुगत कारण।
लाइफस्टाइल : खाने में ज्यादा कोलेस्ट्रॉल मस्तिष्क में भी जम जाता है, जिससे ब्रेन स्ट्रोक के कारण याददाश्त जा सकती है। शुगर लेवल बढऩे से भी दिमाग पर प्रतिकूल असर होता है।
फैमिली हिस्ट्री: अल्जाइमर या डिमेंशिया होने की कोई स्पष्ट वजह तो नहीं है। लेकिन कुछ बातें जरूर उत्तरदायी हो सकती हैं, जैसे फैमिली हिस्ट्री या वंशानुगत कारण।
लाइफस्टाइल : खाने में ज्यादा कोलेस्ट्रॉल मस्तिष्क में भी जम जाता है, जिससे ब्रेन स्ट्रोक के कारण याददाश्त जा सकती है। शुगर लेवल बढऩे से भी दिमाग पर प्रतिकूल असर होता है।
अल्जाइमर के तीन स्तर
1. माइल्ड या मामूली
ऐसे लोगों को याददाश्त की दिक्कत होती है, लेकिन अपना काम खुद कर सकते हैं। किसी पर निर्भरता की जरूरत नहीं।
क्या करें : अलग-अलग गतिविधियों में दिमाग को व्यस्त रखें, जैसे सुडोकू खेलें। किताब पढ़े और उसकी कहानी किसी अन्य को सुनाएं।
1. माइल्ड या मामूली
ऐसे लोगों को याददाश्त की दिक्कत होती है, लेकिन अपना काम खुद कर सकते हैं। किसी पर निर्भरता की जरूरत नहीं।
क्या करें : अलग-अलग गतिविधियों में दिमाग को व्यस्त रखें, जैसे सुडोकू खेलें। किताब पढ़े और उसकी कहानी किसी अन्य को सुनाएं।
2. मध्यम
शॉपिंग, अकाउंट, बिल भरने जैसे काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहता पड़ता है। हालांकि खाना, नहाना जैसे फिजिकल काम खुद कर सकते हैं।
क्या करें : परिवार की भागीदारी बढ़ जाती है। माइल्ड में खुद के काम रोगी खुद कर सकता है, लेकिन इसमें याद दिलाना पड़ता है।
शॉपिंग, अकाउंट, बिल भरने जैसे काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहता पड़ता है। हालांकि खाना, नहाना जैसे फिजिकल काम खुद कर सकते हैं।
क्या करें : परिवार की भागीदारी बढ़ जाती है। माइल्ड में खुद के काम रोगी खुद कर सकता है, लेकिन इसमें याद दिलाना पड़ता है।
3. गंभीर
हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस स्टेज पर 90 % को डिप्रेशन, एंजायटी की दिक्कत होती है। खाना भी याद दिलाना पड़ता है।
क्या करें : दवा से ज्यादा व्यवहार की भूमिका रहती है। उनके व्यवहार से चिढ़ें नहीं, बल्कि भावों से उनकी जरूरतें और भावनाओं को समझें।
हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस स्टेज पर 90 % को डिप्रेशन, एंजायटी की दिक्कत होती है। खाना भी याद दिलाना पड़ता है।
क्या करें : दवा से ज्यादा व्यवहार की भूमिका रहती है। उनके व्यवहार से चिढ़ें नहीं, बल्कि भावों से उनकी जरूरतें और भावनाओं को समझें।
बच्चों की तरह देखभाल करें
इस वक्त उन्हें परिवार के सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत है, उन्हें मोटिवेट करते रहें। उन्हें अच्छी लगने वाली छोटी-छोटी बातों से उनका दिल बहलाएं। उन्हें एहसास दिलाएं कि उम्र सिर्फ नंबर है और नया सीखने के लिए प्रेरित करते रहें, ताकि दिमाग व्यस्त रहे।
इस वक्त उन्हें परिवार के सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत है, उन्हें मोटिवेट करते रहें। उन्हें अच्छी लगने वाली छोटी-छोटी बातों से उनका दिल बहलाएं। उन्हें एहसास दिलाएं कि उम्र सिर्फ नंबर है और नया सीखने के लिए प्रेरित करते रहें, ताकि दिमाग व्यस्त रहे।