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इस तरह से कम हो सकता है कोरोना वायरस का असर

locationजयपुरPublished: May 17, 2020 08:32:24 pm

Submitted by:

Hemant Pandey

ऐसे वायरस की गंभीरता धीरे-धीरे घटती, लेकिन फैलाव अधिक होता है

इस तरह से कम हो सकता है कोरोना वायरस का असर

इस तरह से कम हो सकता है कोरोना वायरस का असर

कोविड-19 से बचाव के लिए दुनियाभर में वैक्सीन पर काम चल रहा है। लेकिन वैक्सीन कब तक आएगी, कुछ नहीं कहा जा सकता। डेंगू और मलेरिया की वैक्सीन के लिए पिछले 20 वर्षों से प्रयास जारी हैं। ऐसे में कोरोना वैक्सीन से उम्मीद तो की जा सकती है। लेकिन इस पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। हमें वायरस से लडऩे का सही तरीका अपनाना होगा। नियमित मास्क लगाएं। सैनिटाइजर-साबुन से हाथ साफ करते रहें। बुजुर्ग जरूरी होने पर ही बाहर निकलें। भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें। सोशल-फिजिकल डिस्टेंसिंग समेत जरूरी सावधानी आगे भी जारी रखनी होगी। ऐसा लॉकडाउन हटने के 6-7 महीने बाद या इससे अधिक समय के लिए भी हो सकता है।
ऐसे घटता है वायरस का असर
वायरस का असर तीन तरीकों से कम होता है। पहला, वायरस इतना म्यूटेट(संरचनात्मक परिवर्तन) हो जाए, जिससे उसकी फैलने की क्षमता खत्म हो जाए। दूसरा, वैक्सीन आ जाए जिससे फैलाव रोका जा सके। तीसरा, वातावरण में ऐसे बदलाव हो जाएं ताकि यह फैले ही नहीं। अगर ये तीनों नहीं होते तो वायरस धीरे-धीरे फैलता रहेगा। 60-70त्न आबादी में फैलने पर हर्ड इम्युनिटी विकसित होती है। तब भी असर घटने लगेगा पर इसमें काफी समय लगेगा।
धीरे-धीरे घटता है RNA वायरस का असर
कोविड-19 एक आरएनए वायरस है। ये जल्दी से म्यूटेट यानी रूप बदल लेते हैं। सामान्यत: देखा गया है कि शुरू में ये अधिक गंभीर लक्षण देते हैं। लेकिन जैसे-जैसे संक्रमण फैलने लगता है, इसका असर घटने लगता है। इसमें फैलने की क्षमता तो बढ़ती है लेकिन जान-माल खतरा कम हो जाता है। कोरोना वायरस का असर भी शुरू के पांच दिन में अधिक होता है। सातवें दिन से उसका असर घटने लगता है।
इसलिए तेजी से फैल रहा
सार्स और स्पेनिश फ्लू का खतरा अधिक था। उसमें मृत्युदर भी अधिक थी क्योंकि उनके लक्षण फैलने के पहले दिख जाते थे। उनकी तुलना में कोरोना कम गंभीर वायरस है। इसके कई मरीजों में पता नहीं होता कि वे संक्रमित भी है। उनसे भी दूसरों में यह फैल सकता है। यही वजह है कि कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है।
वायरस जीवित है या मृत?
कोविड-19 की जांच में जो वायरस मिल रहे हैं उससे अभी तक यह पता कर पाना संभव नहीं है कि वायरस जीवित है या मृत। ऐसे में यह कह पाना मुश्किल होता है कि मरीज में संक्रमण कब हुआ होगा, इसका असर कब तक रहेगा और मरीज के शरीर में इसके वायरस कब तक मिलेंगे।
सावधानी बरतने से ठीक हो रहे हैं मरीज
इलाज में जुटे डॉक्टर्स-पैरामेडिकल स्टाफ इससे संक्रमित हो सकते हैं। करीब 99 फीसदी स्वस्थ भी हो जाते हैं। लेकिन ठीक होने की खबरें लोगों तक नहीं पहुंचती हंै। इससे कोरोना को लेकर भय बढ़ जाता है। कोरोना से उतना बेवजह डरने की जरूरत नहीं है। सावधानियां बरतनी चाहिए। काफी मरीज स्वस्थ भी हो रहे हैं। डॉक्टर्स-मेडिकल स्टाफ को जरूरी चीजें मुहैया करानी चाहिए ताकि उनमें संक्रमण न फैले। जिन्हें कोई बीमारी नहीं है, उन्हें इसका खतरा कम है।
कोरोना से बचाव के लिए हमें आदतों में बदलाव लाना होगा
लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी अपनी आदतों में बदलाव लाकर कोरोना से लड़ा और बचा जा सकता है। जैसे हर छोटी चीज के लिए बाजार न जाएं। एक बार में ही ज्यादा चीजें खरीद लें। भीड़भाड़ वाली जगहों से खुद को दूर करें। बिना मास्क के बाहर नहीं जाएं। बाहर से घर आने पर कपड़े तुरंत धो लें। मॉल्स, सिनेमाघरों में बहुत जरूरी हो तो ही जाएं। जो काम ऑनलाइन हो सकते हैं उसे ऑनलाइन कर लें। खानपान में हाइजीन का विशेष ध्यान रखें। रेस्टोरेंट या होटल में बैठकर खाने की जगह होम डिलीवरी कराएं। ऑफिस को सैनिटाइज करें। अभी शुरू के कुछ दिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल में सावधानी बरतें।
टीकाकरण के लिए हॉस्पिटल में तय हो समय
कोरोना के चलते 50 फीसदी बच्चों को टीके नहीं लग पा रहे हैं जो उनकी इम्युनिटी के लिए जरूरी हैं। कोरोना कब खत्म होगा इसका पता नहीं है। ऐसे में दूसरी बीमारियों के साथ टीकाकरण रोका नहीं जाना चाहिए। इनके लिए अलग से समय तय हो। उस समय दूसरे लोगों का हॉस्पिटल में प्रतिबंधित किया जाए। कैंसर और डायलिसिस के मरीजों पर भी ध्यान दिया जाए। कई दूसरी बीमारियां हैं जिनसे हर रोज मौतें हो रही हैं।
डॉ. तनु सिंघल, शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ (संक्रामक रोग एक्सपर्ट भी हैं)। कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई

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