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पूरे सप्ताह रहे एक जैसा मूड तो हो सकता है यह डिसऑर्डर

आदमी का मूड दिनभर बदलता है। यदि सप्ताहभर एक जैसा मूड हो तो बायपोलर डिसऑर्डर हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति अवसाद में या फिर उन्माद में चला जाता है।

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Health

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जाने क्या है बायपोलर डिसऑर्डर
बायपोलर डिसऑर्डर एक प्रकार की मानसिक बीमारी है। अनुमान है कि 100 में से एक लोग को यह बीमारी होती है। इसके मरीजों की संख्या देश में एक करोड़ से अधिक है। बायपोलर डिसऑर्डर का मरीज अजीब व्यहार करता है। मरीज कभी अधिक उत्साह तो कभी ज्यादा उदास रहता है। इसमें दो ध्रुव बनते, एक डिप्रेशन को तो दूसरा मैनिया का होता है। मरीज समझ नहीं पाता है कि वह क्या करे, दुविधा में रहता है। इस बीमारी का असर सप्ताह, महीनों या सालों तक रहता है।
लक्षण: किसी को कुछ समय के लिए अवसाद और कुछ समय बाद उन्माद हो तो ये बायपोलर है। अवसाद में कार्यों मेंं रुचि कम होना, दुखी होना आदि होता है। उन्माद में अधिक खुश होना, अत्यधिक आत्मविश्वास, तेजी से विचार आना, बड़ी-बड़ी बातें करना आदि प्रमुख हैं।
शुरुआत: डिसऑर्डर अवसाद से शुरू होता है। साइकॉलो थाइमिया में कम अवसाद व उन्माद लम्बे समय तक रहता है। दो वर्ष से ज्यादा अवसाद रहना डिस थाइमिया है।

बायपोलर डिसऑर्डर का इलाज
बायपोलर डिसऑर्डर का इलाज बीमारी की गंभीरता के आधार पर होता है। अवसाद की स्थिति में मूड ठीक करने की दवा सबसे पहले देते हैं। फिर कुछ एंटीसाइकॉटिक और एंटीडिप्रेजेंट दवाइयां दी जाती हैं। एक्यूट यानी गंभीर स्थिति में इलाज की प्रक्रिया भी बदल जाती है। एंटीसाइकॉटिक और एंटीडिप्रेजेंट के साथ बंजाडायजेपिंग दवाइयां
अधिकतर मरीज दवाइयों से ठीक हो जाते, कुछ को थैरेपी देते हैं

ऐसे करें बचाव
बायपोलर डिसऑर्डर के मरीज पर्याप्त नींद लें, 7-8 घंटे सोएं। मरीजों को दूसरे लोगों से बात करनी चाहिए। इससे तनाव नहीं होगा। तनाव और जोखिम भरे काम न करें, इससे समस्या बढ़ती है। बायपोलर डिसऑर्डर की समस्या अनियमित दिनचर्या से बढ़ती है। इसलिए दिनचर्या नियमित रखें, समय पर सोएं और टाइम पर उठें। मन में तनाव की स्थिति है तो दूसरों से साझा करें, रिलेक्स रहेंगे। रोजाना कुछ व्यायाम करें, इससे तन और मन स्वस्थ रहेगा।
डॉ. सुनील शर्मा, मनोचिकित्सक