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पेट की परेशानी? टेस्ट जो पाचन संबंधी समस्याओं का पता लगाएंगे

पिछले दशक में लाइफस्टाइल की आदतों के कारण पाचन तंत्र की समस्याओं में काफी वृद्धि हुई है। ये समस्याएं भोजन को पचाने में मुश्किल पैदा कर सकती हैं और हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं. लेकिन बेहतर महसूस करने के लिए सबसे पहला कदम यह पता लगाना है कि समस्या क्या है।

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Stomach Woes? Get a Diagnosis with These Tests

पिछले दशक में खराब लाइफस्टाइल की वजह से पाचन तंत्र की समस्याएं काफी बढ़ गई हैं. खाना पचाने में दिक्कत और सेहत पर असर होना ये सब पाचन संबंधी दिक्कतों के लक्षण हैं. लेकिन इनका पता लगाना ही स्वस्थ होने की पहली सीढ़ी है.

"पाचन तंत्र को प्रभावित करने वाली बीमारियों का पता लगाना ठीक होने की राह पर पहला ज़रूरी कदम होता है. पेट खराब होने के कई कारण हो सकते हैं. कुछ कारण उम्र या वंशावली से जुड़े होते हैं. कभी-कभी ये हमारी आदतों या खाने की वजह से भी हो सकता है. डॉक्टर कई तरह के टेस्ट करके परेशानी की वजह ढूंढते हैं.

"एक तरीका है सवाल पूछकर और शरीर की जांच करके पता लगाना

खून की जांच: इससे सूजन या इंफेक्शन का पता चल सकता है. साथ ही पाचन संबंधी समस्याओं से जुड़े खास पदार्थों की मात्रा भी पता चलती है.

मल जांच: इससे बैक्टीरिया, पैरासाइट या खून जैसे इंफेक्शन के लक्षण पता चल सकते हैं. इससे गैस्ट्रोएंटेरिटिस या आईबीडी जैसी बीमारियों का पता चल सकता है.

इमेजिंग टेस्ट: एक्स-रे, सीटी स्कैन या एमआरआई जैसी मशीनों से शरीर के अंदर की तस्वीरें ली जाती हैं. इन टेस्ट से पेट में किसी भी तरह की असामान्य चीज़ का पता चल सकता है, मसलन घाव या सूजन.

कभी-कभी डॉक्टर को सीधे पेट के अंदर देखने की ज़रूरत होती है. कोलोनोस्कोपी या एंडोस्कोपी जैसी जांच की जाती है.

इन उपकरणों में कैमरे लगे होते हैं, ताकि डॉक्टर देख सकें कि क्या हो रहा है. वो सूक्ष्मदर्शी से जांच के लिए टिश्यू का छोटा सा टुकड़ा भी निकाल सकते हैं. इससे ये पता चलता है कि पेट की अंदरूनी परत में कोई दिक्क्त तो नहीं है.

लैक्टोज इनटॉलरेंस या छोटी आंत में बैक्टीरिया की अधिकता जैसी समस्याओं का पता लगाने के लिए ब्रीद टेस्ट किया जाता है.
आनुवंशिक जांच: कुछ पाचन संबंधी बीमारियों, जैसे वंशानुगत कैंसर या फैमिलियल पैन्क्रियाटाइटिस का पता लगाने के लिए आनुवंशिक जांच अब काफी ज़रूरी हो गई है.

नई जांच के तरीकों को भी महत्वपूर्ण

कैप्सूल एंडोस्कोपी और वायरलेस मोबिलिटी कैप्सूल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (जीआई) के कामकाज को जांचने का एक नया और आसान तरीका है. खासकर छोटी आंत में किसी भी तरह की असामान्यता को देखने के लिए ये टेस्ट मददगार होते हैं.

भारत में, पाचन संबंधी समस्याएं बुजुर्गों में ज़्यादा होती हैं और इन टेस्ट से पेट की वजह से होने वाली कई गैर-संक्रामक बीमारियों (एनसीडी) को कम करने में मदद मिल सकती है.