अब कुछ रोगियों को देखकर पता चला कि उन्हें सीने में दर्द, सांस में तकलीफ, असामान्य हृदयगति, सीरम ट्रोपोनिन (क्षतिग्रस्त हृदय की मांसपेशियों से निकलने वाला प्रोटीन) जैसे लक्षण है, जो दिल का दौरा का कारण बन सकता है। हम कोरोनरी एंजियोग्राम के जरिए तत्काल यह पता लगाते हैं कि कोरोनरी धमनियों में कोई रुकावट तो नहीं है। ये कोरोनरी सिंड्रोम है या कोरोना का मामला। सीने में दर्द और ट्रोपानिन का स्तर ज्यादा होने पर कोरोना रोगियों को कैथीटेराइजेशन के लिए जाना चाहिए।
जैसा बताया जाता रहा है कि पहले से हृदय रोगी और 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में संक्रमण के बाद जान का जोखिम सर्वाधिक है। इसके अलावा मधुमेह, हार्ट फेल्योर या वाल्व सर्जरी आदि भी उच्च जोखिम वाले रोगी हैं। इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग, नॉन सर्जिकल मास्क, हाथ अच्छे से साफ करते रहें, उचित भोजन लें, पर्याप्त नींद और व्यायाम करें।
कोविड-19 महामारी हमारे हृदय के अलावा आध्यात्मिक दिलों को भी प्रभावित कर रही है, जिसे एक प्रकार का ‘सोल सिकनेस’ कहा जा सकता है, जिसे आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है। दुनिया में बहुत से लोग सामाजिक अलगाव के कारण अवसाद, अकेलापन और निराशा का अनुभव कर रहे हैं। इससे बचने के लिए ध्यान, योग, किताबें पढऩा और संगीत सुनना चाहिए। अंत में यही कि घर पर रहें, सुरक्षित रहें, हम सब साथ हैं। ये वक्त गुजर जाएगा।