scriptसाल 2000 के बाद जन्मे बच्चों की नींद 30 मिनट तक घट गयी है, शोध के अनुसार | What's a 'normal' bedtime for a 5-year-old? Researchers say earlier | Patrika News

साल 2000 के बाद जन्मे बच्चों की नींद 30 मिनट तक घट गयी है, शोध के अनुसार

locationजयपुरPublished: Aug 10, 2019 09:30:57 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

विभिन्न राय-मतों के बीच शोधकर्ताओं का कहना है कि जितना जल्दी सो सके

साल 2000 के बाद जन्मे बच्चों की नींद 30 मिनट तक घट गयी है, शोध के अनुसार

साल 2000 के बाद जन्मे बच्चों की नींद 30 मिनट तक घट गयी है, शोध के अनुसार

किसी भी माता-पिता के लिए पांच साल से छोटे बच्चों की देखभाल एक ऐसी जिम्मेदारी है जिसमें स्वास्थ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। खासकर बच्चों के सोने-जागने और आराम के मामले में। लेकिन यह असल में इतना आसान नहीं जितना कि नजर आता है। सर्दियों की बजाय गर्मियों में बच्चों की नींद में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है।
लेकिन क्या हम बच्चों को सही समय पर सुलाते हैं? ज्यादातर माता-पिता का यही सवाल होता है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोने का ‘सामान्य’ समय क्या है? वर्जीनिया विश्वविद्यालय के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मार्क डीबोइर ने पांच साल से कम उम्र के 14 हजार से ज्यादा बच्चों के सोने की आदतों पर शोध किया है। उन्होंने 2001 के बाद जन्मे बच्चों के अभिभावकों से यह जाना कि जब कि उनके बच्चे इस उम्र में थे तो वे कब तक सो जाते थे। अभिभावकों के जवाब के आधार पर मार्क का कहना है कि इस उम्र के बच्चों को औसतन रात साढ़े आठ बजे तक सुला देना चाहिए। इनमें से आधे बच्चे जल्दी सो गए वहीं 40 फीसदी 8 से 8:30 बजे के बीच सो गए। जबकि 10 फीसदी रात 8 बजे से पहले सो गए। इसके विपरीत 40 फीसदी ऐसे भी थे जो 8:30 से 9:30 बजे के बीच सोए जबकि 10 फीसदी 9:30 बजे के बाद ही सोए। यह शोध एक बड़े अनुसंधान का हिस्सा था।
यह शोध इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अच्छी नींद के अभाव में बच्चों में मोटापे, खराब शैक्षणिक रेकॉर्ड, अवसाद, शारीरिक चोटें और गुस्सा बढ़ता है। अमरीकन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स 3 से 5 वर्ष के बच्चों को प्रतिदिन 10 से 13 घंटे की नींद की सलाह देता है। डॉ. मार्क डीबोइर ने अपने शोध में पाया कि ज्यादातर बच्चे पर्याप्त नींद नहीं ले पा रहे थे। इसके लिए बच्चों का देर से सोना ही मुख्य वजह थी। डीबायर का कहना था कि बिस्तर में देर से आना, बच्चों का टीवी और मोबाइल से चिपके रहना (स्क्रीन टाइम) और माता-पिता की बदली जीवनशैली भी बच्चों की कम नींद कारण है। क्योंकि आज के माता-पिता की तुलना में पिछली पीढ़ी के अभिभावक जल्दी सोते थे इसलिए बच्चे भी भरपूर नींद लेते थे।
उनके शोध में सामने आया कि 1970 में जन्मे बच्चों की तुलना में वर्ष 2000 के दशक में जन्म लेने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों की नींद 30 मिनट घट गई थी। यह देर से सोने के कारण हुआ था लेकिन इसी की तुलना में बच्चों के जगने के समय में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। इसका एक कारण आज भी स्कूलों के टाइम में ज्यादा बदलाव न होना है। बच्चों की नींद के कम होने का एक और कारण ज्यादा टीवी देखना भी है। वे बच्चे जो शाम को दो घंटे से ज्यादा टीवी देखते हैं वे कम टीवी देखने वाले बच्चों की तुलना में 20 मिनट देरी से सोने जाते हैं।

डीबायर का कहना है कि आज 1 से 5 साल के ज्यादातर बच्चे तय समय सीमा से कम सो रहे हैं। इसलिए माता-पिताओं को अपने बच्चों को जल्दी सुलाने की कोशिश करनी चाहिए। माता-पिता इस बात का आंकलन करें कि क्या उनके बच्चे पर्याप्त नींद ले रहे हैं।
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