– कोविशील्ड 62 प्रतिशत प्रभावी
– स्पूतनिक-5 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रभावी
– कोवैक्सीन का डेटा अभी तक नहीं आया
सवाल, बुजुर्गों पर 8 फीसदी प्रभावी-
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को लेकर जर्मनी, फ्रांस व स्वीडन में 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को अनुमति नहीं दी गई है। सरकार का कहना है कि इस आयु वर्ग के बीच यह सिर्फ 8 फीसदी प्रभावी है।
…पर भारत में उम्र सीमा तय नहीं –
भारत में भी ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन लगाई जा रही है। यहां सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम दिया है। हालांकि यहां पर अभी वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के लिए अधिकतम उम्र सीमा तय नहीं की गई है।
कम उम्र व बुजुर्गों को अनुमति नहीं –
यूरोपीय संघ ने एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को जर्मनी, इटली, फ्रांस, बेल्जियम, लिथुआनिया, पोलैंड, ऑस्ट्रिया व स्वीडन में 18-55 साल की उम्र के लोगों को ही लगाने की अनुमति दी है। हवाला दिया गया कि वैक्सीन परीक्षण में यह उम्र के लोगों पर कम प्रभावी थी। साथ ही कहा कि कम उम्र के लोगों के लिए नया टीका उपलब्ध करवाएंगे।
प्रभाव का उम्रवार डाटा होना जरूरी –
वैक्सीन को मंजूरी देने वाले दुनिया के कई नियामकों ने सुझाव दिया है कि जब तक वैक्सीन के प्रभाव के लिए उसके परीक्षण में उम्रवार डाटा न आ जाए तब तक बच्चों व बुजुर्गों को नहीं लगाना चाहिए।
इटली में अफवाह बुजुर्गों के लिए वैक्सीन-
इटली में अफवाह फैली कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड युवाओं, सैनिकों, शिक्षकों व सुरक्षा से जुड़े लोगों के लिए होगी। फाइजर व मॉडर्ना की एमआरएनए वैक्सीन की 90 फीसदी से ज्यादा प्रभावी होने के कारण बुजुर्गों आदि को लगेगी।
बच्चों के लिए कोई वैक्सीन क्यों नहीं-
देश में दो वैक्सीन कोविशील्ड व कोवैक्सीन का टीकाकरण किया जा रहा है। अभी बच्चों के लिए कोई टीका नहीं लग रहा है। 5-10 साल के बच्चों पर कोई परीक्षण का डाटा नहीं है। पूरी दुनिया में चरणबद्ध तरीके से स्कूल खुल रहे हैं। सवाल है कि बच्चों के लिए क्या कोई वैक्सीन कारगर नहीं है तो स्कूल जाने पर वे सबसे ज्यादा संक्रमण के वाहक होंगे।