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टीकाकरण: भारत सहित दुनिया के लिए बड़ा सवाल, किसको लगाई जाए कौन-सी कोरोना वैक्सीन

locationनई दिल्लीPublished: Feb 05, 2021 01:31:55 pm

– हर वैक्सीन की अपनी विशेषता है तो ऐसे में क्या तय होगा कोई मानक?- अभी दो वैक्सीन, लेकिन तीसरी को इमरजेंसी अप्रूवल की तैयारी

टीकाकरण:  भारत सहित दुनिया के लिए बड़ा सवाल, किसको लगाई जाए कौन-सी कोरोना वैक्सीन

टीकाकरण: भारत सहित दुनिया के लिए बड़ा सवाल, किसको लगाई जाए कौन-सी कोरोना वैक्सीन

नई दिल्ली। भारत में कोविशील्ड व कोवैक्सीन के बाद तीसरी वैक्सीन को मंजूरी की उम्मीद है। हालांकि इसके साथ ही एक बड़ा सवाल खड़ा होने की यह भी आशंका है कि आखिर किसको कौन सी वैक्सीन लगाई जानी चाहिए। दरअसल, स्पूतनिक-5 वैक्सीन दुनिया की तीसरी सबसे अधिक प्रभावी वैक्सीन है और इसकी प्रभावशीलता 91.6 फीसदी है, कोविशील्ड की प्रभावशीलता केवल 62 फीसदी बताई गई। उधर, कोवैक्सीन की प्रभावशीलता का डेटा अभी तक आया नहीं है। हर वैक्सीन की अपनी विशेषता है तो ऐसे में सवाल है कि किसे, कौन सी वैक्सीन लगवानी चाहिए? क्या इसके लिए कोई मानक भी तय होगा? यह सवाल सिर्फ देश ही नहीं पूरी दुनिया में उठ रहा है क्योंकि कई देशों में दो वैक्सीन से ज्यादा को मंजूरी मिल चुकी है। कहीं किसी वैक्सीन को बुजुर्गों के लिए ज्यादा सही बताया जा रहा है, वहीं कहीं इसे बुजुर्गों के लिए कम प्रभावकारी माना जा रहा है, कहीं कम आयु के युवाओं को लेकर मतभेद सामने नजर आ रहे हैं। 

– कोविशील्ड 62 प्रतिशत प्रभावी
– स्पूतनिक-5 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रभावी
– कोवैक्सीन का डेटा अभी तक नहीं आया

सवाल, बुजुर्गों पर 8 फीसदी प्रभावी-
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को लेकर जर्मनी, फ्रांस व स्वीडन में 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को अनुमति नहीं दी गई है। सरकार का कहना है कि इस आयु वर्ग के बीच यह सिर्फ 8 फीसदी प्रभावी है।

…पर भारत में उम्र सीमा तय नहीं –
भारत में भी ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन लगाई जा रही है। यहां सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम दिया है। हालांकि यहां पर अभी वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के लिए अधिकतम उम्र सीमा तय नहीं की गई है।

कम उम्र व बुजुर्गों को अनुमति नहीं –
यूरोपीय संघ ने एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को जर्मनी, इटली, फ्रांस, बेल्जियम, लिथुआनिया, पोलैंड, ऑस्ट्रिया व स्वीडन में 18-55 साल की उम्र के लोगों को ही लगाने की अनुमति दी है। हवाला दिया गया कि वैक्सीन परीक्षण में यह उम्र के लोगों पर कम प्रभावी थी। साथ ही कहा कि कम उम्र के लोगों के लिए नया टीका उपलब्ध करवाएंगे।

प्रभाव का उम्रवार डाटा होना जरूरी –
वैक्सीन को मंजूरी देने वाले दुनिया के कई नियामकों ने सुझाव दिया है कि जब तक वैक्सीन के प्रभाव के लिए उसके परीक्षण में उम्रवार डाटा न आ जाए तब तक बच्चों व बुजुर्गों को नहीं लगाना चाहिए।

इटली में अफवाह बुजुर्गों के लिए वैक्सीन-
इटली में अफवाह फैली कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड युवाओं, सैनिकों, शिक्षकों व सुरक्षा से जुड़े लोगों के लिए होगी। फाइजर व मॉडर्ना की एमआरएनए वैक्सीन की 90 फीसदी से ज्यादा प्रभावी होने के कारण बुजुर्गों आदि को लगेगी।

बच्चों के लिए कोई वैक्सीन क्यों नहीं-
देश में दो वैक्सीन कोविशील्ड व कोवैक्सीन का टीकाकरण किया जा रहा है। अभी बच्चों के लिए कोई टीका नहीं लग रहा है। 5-10 साल के बच्चों पर कोई परीक्षण का डाटा नहीं है। पूरी दुनिया में चरणबद्ध तरीके से स्कूल खुल रहे हैं। सवाल है कि बच्चों के लिए क्या कोई वैक्सीन कारगर नहीं है तो स्कूल जाने पर वे सबसे ज्यादा संक्रमण के वाहक होंगे।

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