क्रिटिकल स्थिति में ज्यादा कारगर
स्त्री रोगों में भी लेप्रोस्कोपी सर्जरी का बेहतर इस्तेमाल हो रहा है। गर्भावस्था से बचने के लिए आइयूसीडी लगाने का काम भी लेप्रोस्कोप से हो रहा है। इसमें सिंगल पंचर की मदद से इस प्रोसीजर को किया जाता है। इसी तरह ओवेरियन सिस्ट को भी पंचर कर निकाला जाता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी गर्भधारण के बाद बच्चा बच्चेदानी की बजाए ट्यूब में लग जाता है। तीन महीने के गर्भावस्था में ये समस्या पता चलती है। ऐसे में मां की जान बचाने के लिए सोनोग्राफी के बाद लेप्रोस्कोप से भू्रण को एबॉर्ट करा दिया जाता है। ऐसी स्थिति में पहले लेप्रोटॉमी की जाती थी जिसमें बड़ा चीरा लगाकर भू्रण को हटाया जाता था।