
Why are men taller than women
Why are Men Taller than Women : आमतौर पर पुरुष महिलाओं से लंबे होते हैं. औसतन, पुरुष महिलाओं से करीब पांच इंच ज़्यादा लंबे होते हैं. हालांकि ऐसा लगता है कि प्रकृति में कई प्रजातियों में यही नियम है लेकिन ये भी आम है कि मादाएं नर से ज्यादा लंबी होती हैं जिससे पता चलता है कि लंबाई का ये फर्क सिर्फ जीन की वजह से नहीं है.
हाल ही में 'प्रोसीडिंग्स ऑफ़ द नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़' में छपे एक अध्ययन में इस घटना की आंशिक वजह बताई गई है. ये अध्ययन लगभग दस लाख लोगों से मिले जेनेटिक डेटा पर आधारित है.
इस रिसर्च के केंद्र में एक जीन है जिसे SHOX (शॉर्ट स्टैचर होमोबॉक्स) कहते हैं. ये जीन हमारी लंबाई तय करने में बहुत अहम भूमिका निभाता है. अब ये जीन X क्रोमोज़ोम और Y क्रोमोज़ोम दोनों पर मौजूद होता है. चूंकि महिलाओं में दो X क्रोमोज़ोम (XX) होते हैं और पुरुषों में एक X और एक Y क्रोमोज़ोम (XY) होता है, शोधकर्ताओं को लगा कि SHOX ही महिला और पुरुष की लंबाई के फर्क को समझा सकता है. हालांकि, इस सोच के सामने एक बड़ी चुनौती थी.
चूंकि SHOX जीन X और Y क्रोमोज़ोम दोनों पर होता है, तो शोधकर्ताओं को लगा कि इसका असर इस बात पर अलग-अलग हो सकता है कि ये किस क्रोमोज़ोम से आ रहा है. लेकिन सवाल ये बना रहा – क्या एक अतिरिक्त Y क्रोमोजोम होने का मतलब एक अतिरिक्त X क्रोमोजोम होने से ज्यादा लंबाई का फायदा देता है?
इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए रिसर्च टीम ने कुछ दुर्लभ जेनेटिक स्थितियों पर गौर किया, जिनमें लोगों के पास सेक्स क्रोमोज़ोम (X या Y) या तो ज्यादा होते हैं या कम होते हैं.
डेटा इकट्ठा करने के लिए तीन बायोबैंक (एक यूके से और दो अमेरिका से) काम आए. कुल मिलाकर शोधकर्ताओं ने 1,225 ऐसे लोगों की पहचान की जिनके X या Y क्रोमोज़ोम या तो कम थे या ज़्यादा थे.
शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ क्रोमोसोम की बनावट जैसे जिन लोगों में सिर्फ एक X क्रोमोसोम था और कोई Y नहीं उनमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और लंबाई में काफी कमी देखने को मिली. नतीजों से ये भी पता चला कि जिन लोगों में एक अतिरिक्त Y क्रोमोसोम था, वे उन लोगों से ज्यादा लंबे थे जिनमें एक अतिरिक्त X क्रोमोसोम था. इस तरह उनकी परिकल्पना सही साबित हुई.
पेन्सिलवेनिया के डैनविल में गीज़िंगर कॉलेज ऑफ हेल्थ साइंसेज के जेनेटिक्स रिसर्चर और इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक मैथ्यू ओटजेंस ने इसकी बायोकेमिस्ट्री के आधार पर एक वजह बताई. उन्होंने कहा कि SHOX जीन सेक्स क्रोमोसोम के सिरे के पास होता है.
महिलाओं में उनके दो X क्रोमोसोम में से एक पर मौजूद ज्यादातर जीन आमतौर पर शांत या निष्क्रिय रहते हैं. हालांकि X क्रोमोसोम के एकदम सिरे पर एक खास हिस्सा सक्रिय रहता है. SHOX जीन का इस सक्रिय हिस्से के करीब होना ये पक्का करता है कि यह कुछ हद तक काम करता रहे, बाकी कई जीनों के उलट जो शांत हो जाते हैं.
पुरुषों में एक पूरी तरह से सक्रिय X क्रोमोसोम और एक Y क्रोमोसोम होने का मतलब है कि दोनों जीन की कुल अभिव्यक्ति में योगदान करते हैं. नतीजतन, पुरुषों में SHOX जीन का कुल प्रभाव ज्यादा होता है. शोधकर्ताओं ने हिसाब लगाया कि यह जेनेटिक फ़र्क पुरुषों और महिलाओं की औसत लंबाई के बीच की करीब 25 प्रतिशत विसंगति के लिए ज़िम्मेदार है.
डॉ. ओटजेंस ने आगे बताया कि पुरुषों की कुछ अन्य खास विशेषताएं खासकर यौन हार्मोन से जुड़ी, लंबाई के फर्क में भी अहम भूमिका निभाती हैं. साथ ही, कुछ अतिरिक्त जेनेटिक कारक भी हैं जिन्हें अभी पूरी तरह से समझना बाकी है.
इस अध्ययन को विकास के इतिहास को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम बताया गया है. दरअसल, न्यूयॉर्क शहर के माउंट सिनाई स्कूल ऑफ मेडिसिन में जेनेटिक्स और जीनोमिक साइंस विभाग के प्रोफेसर एरिक शैट ने इस रिसर्च को "निश्चित रूप से शानदार" बताया और वैज्ञानिकों को अब भी उलझाने वाले इस रहस्य के पहलुओं को सुलझाने के लिए बायोबेंक के नए इस्तेमाल की तारीफ़ की.
उन्होंने कहा कि SHOX जीन का प्रभाव भले ही कम हो, लेकिन यह पुरुषों और महिलाओं के बीच की लंबाई के लगभग 20% फ़र्क को समझा सकता है, जिससे मानव विकास के जेनेटिक आधार को समझने के लिए आगे की जाँच के दरवाज़े खुलते हैं.
दुनिया भर में लैंगिक अंतर को कम होने में लगेंगे 131 साल
Published on:
21 May 2025 08:18 am
बड़ी खबरें
View Allस्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
