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क्या इस घटना से टीके को ले कर चिंता? यह समझना चाहिए कि अभी सिर्फ ट्रायल हो रहे हैं। यह डबल ब्लाइंड ट्रायल है, जिसमें आधे लोगों को तो टीका दिया ही नहीं जाता। अध्ययन पूरा हो जाएगा, तभी पता चलेगा कि यह कितना प्रभावी है। ट्रायल में शामिल व्यक्ति कितना भी वीआईपी हो, उसे पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।
क्या हमें सुरक्षित टीका मिलेगा? इस टीके के पहले व दूसरे फेज के ट्रायल में अच्छा इम्यून रिस्पांस मिला है। साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी और नियामक एजेंसियों ने भरोसा दिलाया है कि किसी भी टीके को मंजूरी तभी मिलेगी, जब सुरक्षित पाया जाएगा। आशंकित न हों।
टीका लेने के बावजूद कैसे हो गया कोरोना? अध्ययन का मुख्य निष्कर्ष यह नहीं है कि इसे लगाने के बाद संक्रमण होगा या नहीं। बल्कि एंड प्वाइंट यह है कि संक्रमण हुआ भी तो इससे अगर इम्यूनिटी मिलेगी तो वह आपको बीमार नहीं होने देगा। साथ ही आधे लोगों को तो प्लेसिबो दिया जाता है।
इसी तरह पहली खुराक के लगभग 14 दिन बाद इम्यून रिस्पांस बनने लगता है। लेकिन इस टीके में दूसरे बूस्टर डोज के भी दो हफ्ते बाद ही इसका पूरा प्रभाव बनता है। इस मामले में क्या गड़बड़ियां हुईं?
ट्रायल में भाग लेने वालों की पहले विस्तृत काउंसलिंग की जाती है। उन्हें क्या करना है और क्या नहीं, इसकी सारी जानकारी उनकी समझ में आने वाली भाषा में दी जाती है। सबसे जरूरी बात है कि आप कितने भी महत्वपूर्ण व्यक्ति हों, जब तक इमरजेंसी अप्रूवल नहीं हो पाता, आपको टीका नहीं लग सकता। उससे पहले आप पर सिर्फ ट्रायल हो रहा है।