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पुरुषों की तुलना में महिलाएं लगातार काम करने से अवसाद में आ जाती हैं

locationजयपुरPublished: Jun 27, 2020 07:47:21 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के वैज्ञानिकों के एक नए अध्ययन में पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का तनाव और अवसाद से ग्रसित होने की अधिक आशंका होती है।

पुरुषों की तुलना में महिलाएं लगातार काम करने से अवसाद में आ जाती हैं

पुरुषों की तुलना में महिलाएं लगातार काम करने से अवसाद में आ जाती हैं

कामकाज का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है इसा बारे में अभी तक बहुत ज्यादा शोध नहीं किए गए हैं। वहीं स्त्री और पुरुष में कामकाज की अधिकता, ऑफिस वर्क का दबाव और लगातार कई-कई घंटे तक काम करने की वतह से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य किस तरह प्रतिक्रिया करता है यह भी बहुत स्पष्ट नहीं है। इस रहस्यसे पर्दा उठाने के लिए ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन किया। उनके इस अध्ययन में सामने आया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के तनाव और अवसाद से ग्रसित होने की अधिक आशंका होती है। लंबे समय तक काम करने के कारण महिलाओं में अवसाद के लक्षण बढ़ सकते हैं लेकिन पुरुषों में ऐसा नहीं है। अध्ययन में पाया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं अगर हफ्ते में 55 घंटे से ज्यादा काम कर लें तो उनके अवसा से पीडि़त होने की आशंका अधिक होती है। इस लिहाज से देखें तो भारत में काम केघंटे अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा हैं और शहरों में लोग औसतन एक हफ्ते में 53 से 54 घंटे काम करते हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में यह आंकड़ा एक सप्ताह में लगभग 46 से 47 घंटे का है।
पुरुषों की तुलना में महिलाएं लगातार काम करने से अवसाद में आ जाती हैं
55 घंटे काम तो अवसाद ज्यादा
शोध में सामने आया कि औसतन एक सप्ताह में 55 घंटे या उससे ज्यादा काम करने वाली महिलाएं 35 से 40 घंटे प्रति सप्ताह काम करने वाली अपनी समकक्ष महिलाओं की तुलना में ज्यदा काम करती हें तो उनमें चिड़चिड़ापन, तनाव, चिंता, गुस्सा और भावनात्मक तारतम्य बिगडऩे का जोखिम ज्यादा होता है। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में यह भी पाया कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ५५ घंटे प्रति सप्ताह या उससे ज्यादरा समय तक काम करने पर इस तरह के कोई लक्षण नहीं आते यानी उन पर काम की अधिकता का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता। अध्ययन के प्रमुख लेखक, यूसीएल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड हेल्थ केयर के गिल वेस्टन का कहना है कि दोनों परिणामों में यह अंतर महिलाओं और पुरुषों की लैंगिक भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के प्रति पूर्वाग्रह के कारण हो सकता है।
पुरुषों की तुलना में महिलाएं लगातार काम करने से अवसाद में आ जाती हैं
अवसाद यानी कार्यकुशलता में गिरावट
वेस्टन का कहना है कि अगर आपको अपने काम से प्यार नहीं है तो यह स्थिति और भी भयावह हो जाती है। क्योंकि काम के अधिक घंटे सीधेतौर से कार्यकुशलता में गिरावट और तनाव से स्वाभाविक रूप से जुड़े हुए हैं। अधिक अवसाद का कारण कार्यकुशलता में तेजी से गिरावट का कारण भी बनता है। सामान्य घंटों से अधिक काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि तनाव का अनुभव न भी हो तो भी लंबे समय तक काम करने से कार्य दक्षता हर महिला के मामले में प्रभावित होती है।
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