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इस बीमारी का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों से लेकर ब्रेन, यूट्रस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी पड़ता है। यह बीमारी ज्यादातर ऐसे लोगों को होती है जिनके शरीर में पोषण में कमी होती है। खान-पान सही नही होने के कारण यह बीमारी कमजोर लोगों पर सीधे अटैक करती है। यह रोग हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे इंसान में असानी से फैल जाता है। इसका यदि सही समय पर सही इलाज ना किया जाए तो यह जानलेवा हो जाती है।
क्षय रोग होने के कारण-
एम्स ऋषिकेश में डिपार्टमेंट ऑफ रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में क्लीनिकल डाइटीशियन डॉ. अनु अग्रवाल कहती हैं, “क्या आप जानते कि इस बीमारी के होने की सबसे बड़ी वजह हम खुद होते हैं क्योंकि सही समय पर खान-पान ना होने के चलते, या फिर बाहर का खुला खाना खाकर, घर पर रखा बासी भोजन करने से टीबी रोग होने के खतरे बढ़ जाते हैं। टीबी जीवाणु के कारण होती है इस जीवाणु को माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम से जाना जाता है। यदि कोई व्यक्ति इस जीवाणु के संपर्क में आता है और जीवाणु से ग्रसित व्यक्ति के पास कोई दूसरा व्यक्ति बैठ जाता है, तो ग्रसित व्यक्ति के मुंह से निकले छींटे दूसरे व्यक्ति के पास तेजी से पंहुच जाते है जिससे वो व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता हैं।”
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यदि इस रोग के लक्षणों को सही समय पर पहचान लिया जाए तो सही इलाज करने से इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है।
आइए जानते है टीबी के लक्षणों के बारे मे…
1. तीन हफ़्तों से ज्यादा समय तक लगातार खांसी बने रहना।
2. खांसी के साथ साथ बुखार का आना और ठंड लगना ।
3. सीने में दर्द होना और खांसते वक्त दर्द का बढ़ जाना।
4. इस रोग के होने से कमजोरी और थकावट का आना।
5. भूख न लगना और वजन भी घटना।
6. रात में सोते वक्त बैचेनी रहना और अधिक पसीना आना।
उपचार तथा देखभाल
डॉ. अग्रवाल की मानें तो क्षय रोग (टीबी) संक्रामक रोग होता है, जिसके कारण यह शरीर के अन्य हिस्से जैसे की हड्डियां, मष्तिष्क, पेट, लीवर, किडनी पर तेजी से असर कर सकता है। इस रोग का इलाज डॉक्टर तथा डाइटीशियन की सलाह के साथ महीनों तक चलता है।
टीबी के इलाज के दौरान मरीज को कई प्रकार की एंटीबायोटिक दवाईयां दी जाती हैं जो शरीर के अंदर मौजूद माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु को नष्ट करने में मदद करती है। लेकिन इलाज के दौरान मरीज कुपोषित होने लगता है जिससे शरीर कमजोर होने के साथ वजन कम होने लगता है, खून की कमी जैसी अन्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
इसके अलावा टीबी के मरीज को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। रोज संतुलित आहार लेना चाहिए। सन्तुलित आहार में आपकी थाली में सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे दालें, दूध, दही, घी, पनीर, हरी सब्जियां सम्मलित करें। इस प्रकार के आहार लेने से हम टीबी से होने वाली मृत्यु दर को रोक सकते हैं और इस बीमारी से अपने आप का बचाव भी कर सकते हैं।