• किडनी स्टोन की समस्या में
पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी मौजूद होने के कारण पपीता एक एंटीऑक्सीडेंट रिच फ्रूट है। लेकिन जिन लोगों को पहले से ही किडनी स्टोन की समस्या है, उन्हें पपीते का सेवन संभलकर करना चाहिए, क्योंकि विटामिन-सी की मात्रा शरीर में अधिक होने से कैल्शियम ऑक्सालेट किडनी स्टोन का निर्माण हो सकता है। यह स्टोन के साइज को बढ़ा सकता है और जिसे यूरिन के जरिए निकालना मुश्किल हो जाता है।
• एलर्जी की समस्या में
लेटेक्स से एलर्जी की समस्या वाले लोगों को पपीता खाने से बचना चाहिए। क्योंकि ऐसे लोगों को चिटिनासेस नामक एंजाइम युक्त पपीते के अधिक सेवन से खांसने, छींकने, तथा श्वसन संबंधी अन्य समस्या और आंखों से पानी आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
• लो-ब्लड शुगर से ग्रस्त व्यक्ति
पपीते में ब्लड शुगर लेवल को प्रबंधित करने का गुण होता है, जिससे यह डायबिटीज पेशेंट के लिए बेहतर फल माना जाता है। लेकिन आपको बता दें कि लो-ब्लड शुगर लेवल की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को पपीते का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसके कुछ गुणों के कारण ब्लड शुगर लेवल और भी कम हो सकता है। जिससे व्यक्ति को गंभीर समस्या झेलनी पड़ सकती है।
• अनियमित धड़कन की समस्या में
हालांकि, पपीता को हृदय संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम करने में अच्छा माना जाता है, परंतु जिन लोगों की पहले से ही दिल की धड़कन अनियमित रहती है, उन्हें पपीते से परहेज करना चाहिए। एक शोध के अनुसार, पपीते में साइनोजेनिक ग्लाइकोसाइड नामक एक अमीनो एसिड पाया जाता है। यह आपके पाचन तंत्र में हाइड्रोजन साइनाइड उत्पन्न कर सकता है। जिससे अनियमित दिल की धड़कन की समस्या वाले लोगों की परेशानी और बढ़ सकती है।
• गर्भावस्था में
हालांकि कई शारीरिक समस्याओं में पपीते के फायदे देखे जा सकते हैं, परंतु स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के लिए पपीता खाना हानिकारक हो सकता है। इसका कारण है पपीते में मौजूद लेटेक्स। गर्भावस्था में पपीते का सेवन करने पर यह है गर्भाशय के संकुचन का कारण बन सकता है। जहां तक संभव हो चिकित्सक की सलाह से ही गर्भवती महिला को आहार देना चाहिए।