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आॅस्कर 2019: ‘पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस’ ने जीता बेस्ट डॉक्यूमेंट्री अवॉर्ड, भारत से है खास कनेक्शन

फिल्म में भारत के रियल पैडमैन के बारे में बताया गया है।

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Period end of sentence

Period end of sentence

फिल्म 'पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस' (Period End of Sentence) को आॅस्कर अवॉर्ड 2019 (oscar awards 2019) में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट कैटेगरी फिल्म के ऑस्कर अवॉर्ड से नवाजा गया है। इस फिल्म की एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा है। रयाक्ता जहताबची व मैलिसा बर्टन ने इसे निर्देशित किया है। रिपोर्ट के अनुसार यह मूवी उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के काठी खेड़ा गांव की रहने वाली युवती पर बनी है। फिल्म में भारत के रियल पैडमैन के बारे में बताया गया है।

इस लघु फिल्म में यह दिखाया गया है कि किस तरह सेनेटरी पैड के अभाव में बालिकाएं अपनी लज्जा को अभिव्यक्त नहीं कर पातीं और स्कूल छोड़ने पर विवश हो जाती हैं। 25 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री को बनाने में कैल‍िफोर्न‍िया के ऑकवुड स्कूल के 12 स्टूडेंट और स्कूल की इंग्ल‍िश टीचर मेल‍िसा बर्टन का खास योगदान है। इसे बनाने के पीछे द‍िलचस्प किस्सा है, ऑकवुड स्कूल स्टूडेंट ने एक आर्ट‍िकल में इंड‍िया के गांव में पीरियड को लेकर शर्म और हाइजीन की नॉलेज नहीं होने का पता चला। बच्चों ने एनजीओ से संपर्क किया, फंड इकट्ठा किया और गांव की लड़कियों के लिए एक सेनेटरी बनाने वाली मशीन डोनेट की। इसके बाद गांव में जागरुकता लाने के लिए डॉक्यूमेंट्री बनाई।

इस डॉक्यूमेंट्री में हापुड़ की स्नेहा का अहम रोल है। वह पुल‍िस में भर्ती होना चाहती है। एक गावं जहां की बुजर्ग मह‍िलाएं पीर‍ियड्स को भगवान की मर्जी और गंदा खून बताती हैं लेकिन स्नेहा की सोच अलग है। डॉक्यूमेंट्री में फलाई नाम की संस्था और र‍ियल लाइफ के पैडमैन अरुणाचलम मुरंगनाथम को भी दिखाया गया है। उनके द्वारा बनाई गई सेनेटरी मशीन को गांव में लगाया जाता है, जहां लड़कियां रोजगार के साथ-साथ पीर‍ियड के द‍िनों में सेनेटरी के यूज के सही मायने को समझती हैं।