
rahu bad effects : how to safe yourself - Tips are here
ज्योतिष में राहु को एक पापी ग्रह व क्रूर ग्रह माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, यात्राएं, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राएं आदि का कारक कहते हैं। राहु ग्रह, कुंडली में स्थित 12 भावों पर विभिन्न तरह से प्रभाव डालता है।
ऐसे में यह जिस व्यक्ति की जन्मपत्री में अशुभ स्थान पर बैठा हो, अथवा पीड़ित हो तो यह जातक को इसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं परंतु यदि राहु कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमज़ोर होने पर यह अशुभ फल देता है।
राहु के नकारात्मक प्रभावों के चलते ही राहू की महादशा से बच कर रहना की सलाह दी जाती है है। राहू की महादशा लगभग 18 वर्ष की होती है। राहू की अंतर्दशा का काल 2 वर्ष 8 माह और 12 दिन का होता है।
इस अवधि में राहु से प्रभावित लोगों को बीमारी, अपमान और बदनामी का सामना करना पड़ सकता है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार राहू काल में भगवान शिव के रौद्र अवतार भगवान भैरव के मंदिर में रविवार को प्रसाद चढ़ाने और तेल का दीपक जलाने से ग्रह दशा के दोषों से काफी हद तक शांति मिलती है।
राहु का वैदिक मंत्र
ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा। कया शचिष्ठया वृता।।
राहु का तांत्रिक मंत्र
ॐ रां राहवे नमः।।
राहु का बीज मंत्र
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।।
क्या करें-क्या न करें... What to Do or What Don't
- राहु दशा के दौरान शराब का सेवन कतई न करें। लावारिस शव के दाह-संस्कार के लिए शमशान में लकडिय़ां दान करें। अप्रिय वचनों का प्रयोग न करें।
- माना जाता है कि यदि कुंडली में गुरु (बृहस्पति) अशुभ प्रभाव में हो, राहु के साथ या उसकी दृष्टि में हो तो ऐसी स्थिति में किसी अपंग छात्र की पढ़ाई या इलाज में सहायता करना राहु के दुष्प्रभावों में कमी लाता है। इसके अलावा राहु के दुष्प्रभावों में कमी के लिए शैक्षणिक संस्था के शौचालयों की सफाई की व्यवस्था कराने के अलावा शिव मंदिर में नित्य झाड़ू लगाने सहित पीले रंग के फूलों से शिव पूजन करना भी लाभकारी है।
- वहीं राहू में शनि की अंतर्दशा में परिवार में कलह की स्थिति बनती है। इस समय तलाक, भाई-बहन और संतान से अनबन, नौकरी में संकट की संभावना रहती है। शरीर में अचानक चोट या दुर्घटना के योग, कुसंगति आदि की संभावना रहती है। साथ ही वात और पित्त जनित रोग भी हो सकता है।
इससे बचाव के लिए भगवान शिव की शमी के पत्तों से पूजा और शिव सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि शमी के पत्ते भगवान शिव पर चढ़ाए जाने से राहु ही नहीं बल्कि शनि व केतु के दोष भी दूर हो जाते हैं।
राहु में शनि की अंतर्दशा के दौरान महामृत्युंजय मंत्र के जप स्वयं, अथवा किसी योग्य विद्वान ब्राह्मण से कराएं। इसके बाद दशांश हवन कराएं, जिसमें जायफल की आहुतियां अवश्य दें। नवचंडी का पूर्ण अनुष्ठान करते हुए पाठ व हवन कराएं। काले तिल से शिव का पूजन करें।
- राहु की महादशा में बुध की अंतर्दशा की अवधि में धन और पुत्र की प्राप्ति के योग बनते हैं। राहू और बुध की मित्रता के कारण मित्रों का सहयोग प्राप्त होता है। साथ ही कार्य कौशल और चतुराई में वृद्धि होती है। व्यापार का विस्तार होता है और मान, सम्मान यश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
यह करें उपाय
- भगवान गणेश को शतनाम सहित दूर्वा चढ़ाते रहें।
- भैरवजी के मंदिर में ध्वजा चढ़ाएं। कुत्तों को रोटी, ब्रेड या बिस्कुट खिलाएं।
- शिव मंदिर में नंदी की पूजा करें और वस्त्र आदि दान दें।
- प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव का शुद्ध दूध से अभिषेक करें।
राहु के सबसे खास उपाय...
: माना जाता है कि राहु की दशा आने पर जातक को किचन में जहां खाना बनता है वहीं जमीन पर आसन लगाकर बैठ भोजन करना चाहिए।
: वहीं राहु की दशा में गोमेद रत्न पहनने के लिए भी कहा जाता है, लेकिन ध्यान रखें बिना किसी जानकार की सलाह के इसे पहनना घातक हो सकता है, वहीं राहु की दशा चले जाने पर इसे उतार भी देना चाहिए वरना माना जाता है कि ये आपको कई तरह से नुकसान भी पहुंचा सकता है।
Published on:
20 Apr 2020 05:57 pm
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