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रानी कमलापति का यारनगर स्थित गिन्नौरगढ़ महल भी था खास, जानिए कहां है ये महल ?

दूर विंध्याचल पर्वत श्रंखला के बीच पहाड़ी पर स्थित है रानी का किला, संरक्षण के लिए केन्द्र के पास भेज चुका प्रस्ताव।

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होशंगाबाद. भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम गोंड रानी कमलापति के नाम पर रखा गया है। विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन को तो रानी कमलापति का नाम मिल गया, लेकिन बुदनी स्थित रानी कमलापति का महल अभी भी खंडहर बना हुआ है।

दीवार और छत की हालत ऐसी है कि इसके अंदर जाने से भी डर लगता है। जानकारी के अनुसार जिले की ऐतिहासिक धरोहर में से एक धरोहर गोंड संस्कृति और गोंडवाना राज की साक्षी है, जिससे स्पष्ट होता है कि रानी कमलापति का सीहोर जिले से भी नजदीकी रिश्ता रहा है, उनका किला रेहटी तहसील के पास स्थित है, जिसे गिन्नौरगढ़ नाम से जाना जाता है। यह विंध्याचल पर्वत श्रंखला की सलकनपुर पहाड़ी पर सेमरी ग्राम पंचायत से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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13वीं सदी में गोंड राजा उदय वर्धन ने कराया था निर्माण
इतिहास बताता है कि गिन्नौरगढ़ के किले का निर्माण 13वीं सदी में गोंड राजा उदय वर्धन ने कराया था। गोंड साम्राज्य सीहोर जिले के गिन्नौरगढ़ से लेकर वर्तमान भोपाल एवं होशंगाबाद तक के क्षेत्र में माना जाता है। इस रियासत की अंतिम उत्तराधिकारी शासक के रूप में रानी कमलापति ही रही हैं। अब हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम से किए जाने से सीहोर जिले का भी गौरव बढ़ा है। बताया जाता है गिन्नौरगढ़ के किले से भोजपुर के शिव मंदिर तक एक सुरंग भी बनी हुई है, जिसके द्वारा रानी कमलापति भगवान शिव का हर सोमवार को अभिषेक करने जाती थी। कुछ इतिहास विदों का कहना है कि सरकार द्वारा जिस प्रकार से हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम गोंड रानी कमलापति के नाम से रखकर उनका नाम इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया है, इसी प्रकार पुरातत्व विभाग के माध्यम से गोंड रानी कमलापति की ही निशानी गिन्नौरगढ़ किले का भी जीर्णोद्धार कर इस पर्यटक स्थल के रूप में यदि विकसित किया जाए।

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इस धरोहर का छह माह पहले वनमंत्री ने जायजा लिया था, जपं भी शासन को धरोहर संरक्षित रखने भेजेगी प्रस्ताव गिन्नौरगढ़ का किला रेहटी तहसील की सेमरी ग्राम पंचायत से करीब 2 किलोमीटर और बुदनी की खाडावर ग्रापं के यारनगर गांव से आधा किलोमीटर दूर स्थित है। यहां वन परिक्षेत्र ओबैदुल्लागंज का लगता है। बताते हैं कि 6 माह पूर्व मध्यप्रदेश सरकार के वन मंत्री विजय शाह भी इस किले के संरक्षण की योजना के हिसाब से देखने गए थे। मप्र सरकार वन विभाग की तरफ से केंद्र सरकार को पुराने किले एवं बावडिय़ों को संरक्षित करने एक योजना केंद्र को उपवन मंडल अधिकारी प्रदीप त्रिपाठी के माध्यम से भेज चुकी है। इधर, सीइओ धर्मेन्द्र यादव का कहना है कि जनपद पंचायत भी शासन को गोंडवाना धरोहर को संरक्षित करने के लिए प्रस्ताव भेजेगी।

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