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COVID-19 Vaccine: क्या कोई टीका 100 फीसदी कारगर हो सकता है?

Published: Dec 05, 2020 08:44:49 pm

चिकित्सा विशेषज्ञों ने दिया कोरोना वैक्सीन से जुड़े बड़े सवाल का जवाब।
कोई भी टीका किसी भी बीमारी से 100 प्रतिशत प्रतिरक्षा नहीं दे सकता है।
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री टीका पाने के बाद पाए गए हैं कोरोना पॉजिटिव।

Any vaccine can't give 100% immunity from any disease, Experts on COVID-19 Vaccine

Any vaccine can’t give 100% immunity from any disease, Experts on COVID-19 Vaccine

नई दिल्ली। यहां तक कि भारत की पहली स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन के तीसरे चरण के एक स्वयंसेवक बने हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा है कि वह भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इस बात के सामने आते ही राष्ट्रीय राजधानी में मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोई भी टीका किसी व्यक्ति की किसी भी बीमारी से 100 प्रतिशत प्रतिरक्षा नहीं करता है।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए विशेषज्ञों ने समझाया कि एक बार एक एंटीजन के शरीर में प्रवेश करने के बाद यह सब उस व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली की ताकत पर निर्भर करता है कि वो इसके खिलाफ एंटीबॉडी का निर्माण कर सके।
सर गंगा राम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर एसपी ब्योत्रा ने कहा, “जनता में यह धारणा है कि एक बार जब किसी व्यक्ति को टीका लगाया जाता है तो वह किसी भी संक्रमण से प्रतिरक्षित (इम्यून) हो जाता है, लेकिन यह एक एंटीजन है जो एक निर्धारित समय के भीतर एक व्यक्ति में एंटीबॉडी पैदा करेगा। अगर किसी व्यक्ति को टीका लगने के बाद भी संक्रमण हो जाता है तो इसे टीके की विफलता नहीं माना जाना चाहिए।”
कई टीकों को दो खुराक में देने की आवश्यकता होती है। पहली आधी खुराक एंटीबॉडी के उत्पादन को प्रोत्साहित करना शुरू कर देती है और दूसरी शरीर में एंटीबॉडी का उच्च स्तर बनाए रखती है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रसून चटर्जी ने कहा, “कोवैक्सिन एक मारा गया वायरस है जो एक बार मानव शरीर में फैल जाता है, यह सतह ग्लाइकोप्रोटीन जैसी कुछ एंटीबॉडी को उत्तेजित करती है। कोविड के लिए ग्लाइकोप्रोटीन खतरनाक है। एक-शॉट आंशिक सुरक्षा देता है लेकिन बूस्टर बेहतर है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को दो बार उत्तेजित करता है।”
प्रतिरक्षित होने के बाद भी कोविड-उचित व्यवहार पर जोर देते हुए डॉ. चटर्जी ने कहा कि व्यक्ति को इम्यून होने पर भी सभी स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक दोनों के टीके अपने तीसरे चरण के परीक्षण में हैं। पहले चरण के परीक्षण में बहुत गंभीर रूप से बीमार रोगी शामिल होते हैं, जिसमें कोई जोखिम नहीं लिया जाता है और इसके बाद दूसरे चरण के परीक्षण को मरीजों के एक विशेष समूह पर आयोजित किया जाता है। इन चरणों के तहत, यह देखा जा रहा है कि पर्याप्त एंटीबॉडी का उत्पादन किया जाता है या नहीं।
अंतिम चरण के परीक्षण में, जो वर्तमान में दुनिया में चल रहा है, बच्चों सहित विभिन्न आयु समूहों के तहत बहुत अधिक लोगों को टीका लगाया जाता है, जो यह निर्धारित करेगा कि टीका बाजार में आने के लिए तैयार है या नहीं।
कोवैक्सिन परीक्षण के लिए स्वेच्छा से नाम देने वाले हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज (67) को 20 नवंबर को एक खुराक दी गई थी, लेकिन उन्होंने शनिवार सुबह कोरोना पॉजिटिव होने के बारे में ट्वीट किया।
प्रक्रिया के अनुसार, 28 दिनों के बाद इसकी दूसरी खुराक निर्धारित की गई थी। भारत बायोटेक द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, “COVAXIN™ क्लीनिकल ट्रायल्स 28 दिनों के दो खुराक शेड्यूल पर आधारित हैं। प्रक्रिया के अनुसार, 28 दिनों के बाद एक दूसरी खुराक निर्धारित की गई थी। टीके की प्रभावशीलता 14 दिनों के बाद दूसरी खुराक के बाद निर्धारित की जाएगी। COVAXIN ™ को लोगों पर दोनों खुराक प्राप्त होने और दूसरी खुराक के 14 दिन की अवधि के बाद प्रभावशाली होने के लिए डिज़ाइन किया गया है।”
कोवैक्सिन का फेज तीन ट्रायल डबल-ब्लाइंड और रैंडम है, यानी इसमें आधे लोगों को वैक्सीन दी जाएगी और आधे लोगों को एक प्लेसिबो दिया जाएगा।

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