
Bal Thackeray was banned for 6 years could not cast votes and could not contest elections
नई दिल्ली:मुंबई ( Mumbai ) जिसे हम मायानगरी के नाम से भी जानते हैं, मुंबई पर राज करना कोई आसान बात नहीं। लेकिन इस काम को आसान कर दिखाया 23 जनवरी 1926 को एक मराठी परिवार में जन्मे 'बाल ठाकरे' ( Bal Thackeray ) ने। भले ही आज वो हम सबके बीच नहीं है, लेकिन फिर भी उनकी बातें और उनकी यादें लोगों के दिलों में आज भी जिंदा हैं। उनका जन्म का नाम बाल केशव ठाकरे था, लेकिन उन्हें बालासाहब ठाकरे और हिंदू सम्राट के नाम से भी जाना जाता है।
महाराष्ट्र में बनाई एक अलग पहचान
बालासाहब ठाकरे हिंदूवादी राजनीति पार्टी 'शिवसेना' ( Shivsena ) के फाउंडर हैं। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत मुंबई के एक अंग्रेजी दैनिक 'द फ्री प्रेस जर्नल' के साथ एक कार्टूनिस्ट के रूप में की। साल 1960 में उन्होंने ये नौकरी छाड़ी और अपना राजनीतिक साप्ताहिक अखबार मार्मिक निकला। ठाकर के पिता केशव सीताराम ठाकरे 'संयुक्त महाराष्ट्र मूवमेंट' के एक बडे़ और जाने-माने चेहरे थे। साल 1966 में बाल ठाकरे ने मुंबई के राजनीतिक और व्यावसायिक परिदृष्य पर महाराष्ट्र के लोगों के अधिकार के लिए राजनीतिक पार्टी 'शिव सेना' का गठन किया। वहीं बाल ठाकरे शिव सेना के मुखपत्र मराठी अखबार 'सामना' और हिन्दी अखबार 'दोपहर का सामना' के फाउंडर हैं। बाल ठाकरे की पत्नी का नाम मीना ठाकरे था, लेकिन साल 1996 में उनका देहांत हो गया। उनके 3 बेटे स्वर्गीय बिंदुमाधव, जयदेव और उद्धव ठाकरे हैं। वहीं उनके बड़े बेटे बिंदुमाधव ठाकरे की 20 अप्रैल 1996 को एक सड़क दुर्घटना में मुंबई-पुणे हाइवे पर मौत हो गई थी।
जब लगा था वोट डालने और चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध
शुरुआत से ही शिवसेना ने डर और नफरत की राजनीति की, जिससे सत्ताधारी पार्टियां तक डरा करती थीं। हालांकि, वक्त जैसे-जैसे आगे बढ़ा ये डर भी कम होता चला गया। साल 1995 में बीजेपी ( BJP ) और शिवसेना ने मिलकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जीता, क्योंकि दोनों की हिंदूवादी सोच मेल खा चुकी थी। शिवसेना नेता मनोहर जोशी साल 1995 से 1999 तक महाराष्ट्र के सीएम रहे और बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे डिप्टी सीएम रहे। हालांकि, इस दौरान बाल ठाकरे पर ये आरोप लगता रहा कि वो सरकार चलाने के लिए पर्दे के पीछे से रिमोट की तरह काम करते रहे। दूसरी तरफ 28 जुलाई 1999 को चुनाव आयोग की सिफारिश पर बाल ठाकरे पर 6 साल के लिए वोट डालने और चुनाव लड़ने दोनों का बैन लगा दिया गया था। हालांकि, साल 2005 में इस बैन को हटा लिया गया था। इसके बाद उन्होंने पहली बार साल 2006 में बीएमसी चुनाव के लिए वोट डाला था। बाला साहब ठाकरे मराठी मानुष की तरह हमेशा ही अपनी लड़ाई लड़ते रहे और मुंबई पर पहला अधिकार मराठियों का ही बताते रहे।
Published on:
23 Jan 2020 12:03 pm
बड़ी खबरें
View Allहॉट ऑन वेब
ट्रेंडिंग
