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इसी युद्ध को जीतने के बाद अंग्रेजों ने भारत में जमाई थीं अपनी जड़ें, किया था 200 साल तक राज

Battle of Plassey जीतने के बाद ही अंग्रेजों ने भारत में कब्ज़ा किया था। British Army और Bengal के नवाब सिराजुद्दौला के बीच यह युद्ध लड़ा गया था। India के इतिहास में इस युद्ध ने बहुत ही अहम भूमिका निभाने का काम किया।

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Nitin Sharma

Jun 23, 2019

इसी युद्ध को जीतने के बाद अंग्रेजों ने भारत में जमाई थीं अपनी जड़ें, किया था 200 साल तक राज

इसी युद्ध को जीतने के बाद अंग्रेजों ने भारत में जमाई थीं अपनी जड़ें, किया था 200 साल तक राज

नई दिल्ली। प्लासी का युद्ध ( battle of plassey ) वह युद्ध था जिसे जीतने के बाद अंग्रेजों ने भारत ( India ) पर कब्ज़ा किया और अपना ग़ुलाम बनाया था। प्लासी पश्चिम बंगाल ( West Bengal ) में स्थित नदिया जिले का एक क़स्बा है। प्लासी के युद्ध की गिनती विश्व प्रसिद्ध युद्ध में की जाती है। 23 जून साल 1757 को हुआ यह युद्ध भारत का इतिहास ( History ) में विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी युद्ध में जीत हासिल करने के बाद अंग्रेजों ने भारत को अपना ग़ुलाम बना लिया था। यह युद्ध ईस्ट इंडिया कंपनी ( East India company ) और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच लड़ गया था। गंगा के किनारे बसा एक गांव प्लासी जहां अंग्रेजों और बंगाल के नवाब की सेना का आमना- सामना हुआ था जिसमें अंग्रेजों की जीत हुई।

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हालांकि कहा जाता है कि बिना युद्ध लड़े ही अंग्रेजों की जीत तय मानी जा रही थी। इतिहास कारों का मानना था कि यह युद्ध मामूली सैन्य झड़प था लेकिन इसके परिणाम दूरगामी थे। क्योंकि इसी युद्ध ने अंग्रेजों के हौसलों को बुलंद किया और बंगाल में उनकी जड़ें मजबूत की। उस समय भारत के राजाओं के बीच बिगड़े रिश्तों की जानकारी भी अंग्रेजों को थी और उसी का फायदा उठाकर उन्होने यह युद्ध जीत लिया जिसका असर आज के भारत पर भी नज़र आता है। इस युद्ध को जीत जाने के बाद अंग्रेजों ने भारत पर 200 साल तक राज किया और भारत आज भी उस गुलामी के कारण होने वाले नुकसान से उभर नहीं पाया है।

मीरजाफर जिसने बंगाल के नवाब सिराजद्दौला को धोखा देकर अंग्रेजों को जिताने में अहम भूमिका निभाई थी उसे अंग्रेजों ने बंगाल का नवाब बना दिया और कठपुतली की तरह इशारों पर नचाया। अंग्रेजों और मीरजाफर के बीच हुई सन्धि के तहत मीरजाफर ने नवाब बनने के बाद अंग्रेजों को 24 परगनों की जमीदारी सौंपी, ढाका और कासिमबाजार में दुर्ग निर्माण करने का अधिकार दिया, कलकत्ता को पूरी तरह से अंग्रेजों के अधीन कर दिया और साथ ही बंगाल में सभी प्रकार की व्यापारिक सुविधाओं को भी अंग्रेजों को दे दिया। युद्ध में हार के बाद सिराजुद्दौला को अंग्रेजों ने बंदी बना लिया और उसकी हत्या कर दी।

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