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Coronavirus: भारत के लिए अगले कुछ सप्ताह होंगे बेहद अहम, कोरोना का ट्रेंड बना चिंता का विषय

locationनई दिल्लीPublished: Apr 15, 2020 01:03:49 pm

Coronavirus: अन्य देशों के मुकाबले फिलहाल भारत कोरोना ( COVID-19 in India ) की जंग में मजबूत स्थिति में है लेकिन, विशेषज्ञों का कोरोना का ट्रेंड ( Coronavirus Trend ) बेहद डराने वाला है।कोरोना ( COVID-19 ) के चलते अब तक 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 10 हजार से भी ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं।देश में कम टेस्टिंग भी चिंता बढ़ा रही है। माना जा रहा है कि कम टेस्टिंग के चलते मरीजों के सही आंकड़े सामने नहीं आ रहे हैं।

Coronavirus next two weeks will important for India know corona trends

नई दिल्ली।
भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना वायरस ( coronavirus ) के संकट से जूझ रही है। लॉकडाउन ( Lockdown ) के बावजूद संंक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब तक 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 10 हजार से भी ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( PM Modi ) ने 3 मई तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया है। अन्य देशों के मुकाबले फिलहाल भारत कोरोना ( COVID-19 in India ) की जंग में मजबूत स्थिति में है लेकिन, विशेषज्ञों का कोरोना का ट्रेंड ( Coronavirus Trend ) बेहद डराने वाला है।

भारत में कोरोना का ट्रेंड ( Coronavirus in India )
देश में कोरोना का पहला केस 30 जनवरी को सामने आया था। जहां अन्य देशों में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 10 हजार को भी पार कर चुकी है, जबकि भारत में डेढ़ महीने के दौरान इसकी संख्या 500 तक पहुंची थी। तब तक स्थिति चिंताजनक नहीं थी, लेकिन 23 मार्च के बाद 2 हफ्तों में 8 अप्रैल तक आंकड़ा 500 से सीधा 5000 पहुंच गया। औसत देखा जाए तो रोजाना 300 मामले सामने आ रहे थे।

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दूसरे देशों में कोरोना का ट्रेंड
दुनिया में कोरोना का एपिसेंटर बने अमेरिका ( USA ) में 15 मार्च तक मरीजों की संख्या 5000 थी। इसके अगले दो सप्ताह बाद ही ये आंकड़ा 2 लाख पहुंच गया। इटली में भी ऐसा ही हाल रहा, जब पहले 5000 मामलों के बाद अगले 3 सप्ताह बाद ही पॉजिटिव मरीजों की संख्या 50 हजार पार हो गई। स्पेन में भी स्थिति काबू से बाहर हुई तो संक्रमित मरीजों की संख्या 80 हजार तक पहुंच गई। हालांकि, भारत में समय रहते लॉकडाउन जैसे कड़े कदम उठाए गए। लेकिन, लॉकडाउन के बाद जिस रफ्तार से आंकड़ा बढ़ा है वो चिंता का विषय है।

कम टेस्टिंग बढ़ा रही चिंता
देश में कम टेस्टिंग भी चिंता बढ़ा रही है। माना जा रहा है कि कम टेस्टिंग के चलते मरीजों के सही आंकड़े सामने नहीं आ रहे हैं। साढ़े पांच करोड़ आबादी वाले साउथ कोरिया में दो सप्ताह के दौरान डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों के टेस्ट किए गए। इसके विपरीत 135 करोड़ आबादी वाले भारत में टेस्ट की रफ्तार बहुत कम मानी जा सकती है। आईसीएमआर ( ICMR ) के अनुसार अब तक देश में लगभग 2 लाख के करीब टेस्ट हुए हैं।

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बढ़ सकता है संक्रमण का खतरा
Johns Hopkins University अमेरिका की स्टडी में सामने आया है कि देश में मानसून के साथ दूसरी मौसमी बीमारियों की तरह ही कोरोना का संक्रमण भी बढ़ सकता है। खासकर उन हालातों में जहां हर 1000 की आबादी पर 0.5 बेड हैं और हर साढ़े 1200 मरीजों पर एक डॉक्टर (स्त्रोत-WHO) और वेंटिलेटर के अलावा पर्सनल प्रोटेक्टिव उपकरण भी नहीं हैं। आशंका जताई जा रही है कि इस तरह से संक्रमण की चेन चल सकती है।

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अगले दो सप्ताह होंगे अहम
अमेरिका में बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के अनुसार लॉकडाउन बढ़ने पर भी सिर्फ उन्हीं हालातों में कारगर साबित हो सकता है जब तक इसकी वैक्सीन आ जाए। वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन बनने में एक साल तक लग सकता है। ऐसे में संक्रमित मरीजों का आइसोलेशन में न रखने की वजह से अगले दो सप्ताह तक हालत बिगड़ भी सकते है।

रोकना ही एकमात्र विकल्प
कोविड-19 के इलाज के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। वैक्सीन नहीं आने तक इसे रोकने का एकमात्र विकल्प सोशल डिस्टेंसिंग है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वायरस को खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके संक्रमण को कम किया जा सकता है।

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