
Some COVID-19 patients may not realise their oxygen levels are dangerously depleting
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Corona Virus) अब भी दुनिया के लिए एक पहेली बना हुआ है। इस वायरस (Virus) को लेकर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। वहीं इस बीमारी के इलाज को भी 100 से ज्यादा शोधकर्ता समूह लगे हैं। हालांकि अभी तक किसी के हाथ सफलता नहीं लगा है।
हालांकि शोधकर्ताओं ने इस वायरस (Corona) के बारे में ढ़ेरों जानकारी जुटा ली, जिससे इसके वैक्सीन (corona vaccine) बनाने में मदद मिल मिलेगा। इनसब के बीच एक शोध में पता चला है कि कोरोना के मरीजों को पता ही नहीं चलता कि उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा है।
80 प्रतिशत मरीजों में नहीं दिखते लक्षण
दरअसल, WHO के अनुसार 80 प्रतिशत मरीजों में बीमारी के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई ही नहीं देते हैं। वहीं 15 प्रतिशत मरीज ऐसे होते हैं जिनमें गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत होती है। बचे 5 प्रतिशत मरीज ऐसे होते हैं जिनकी हालत नाजुक हो जाती है और उन्हें वेंटीलेटर पर रखना पड़ता है।
अब दिक्कत ये होती है कि बिना लक्षण वाले मरीजों को कोरोना के लेकर कन्फ्यूजन जो जाती और वे संक्रमण को फैलने से रोकने के उपायों पर जोर नहीं दे पाते हैं।
एक शोध के मुताबिक कोरोना संक्रमित होने के बाद संभावना यह होती है उसे कोविड निमोनिया हो जाए जिसमें उसके सांस की नली और फेफड़ों में जलन होती है और उसके फेफड़ों में पानी भर जाता है। यह ऐसी स्थिति है जब कोरोना पीड़ित के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी गिर जाता है लेकिन फिर भी वह सामान्य नजर आता है। अपने करीबी लोगों से आराम से बातें करता रहता है।
डॉक्टरों ने ऐसी स्थिति को 'हैप्पी हाइपोक्सिया' (Hypoxia) का नाम दिया गया है। एक्सपर्ट का कहना है कि यह अजीब सी अवस्था मरीज की मौत का कारण बन सकती है। ब्रिटेन के मैनचेस्टर रॉयल इनफरमरी हॉस्पिटल के एनेस्थिशियोलॉजिस्ट डॉ. जोनाथन स्मिथ का कहना है कि कोरोना में हाइपॉक्सिया (ऑक्सीजन में कमी) के मामले काफी पेचीदा हैं।
डॉक्टर के मुताबिक स्वस्थ इंसान में कम से कम ऑक्सीजन का स्तर 95 फीसदी होता है लेकिन कोरोना के जो मामले सामने आ रहे हैं उनमें यह स्तर 70 से 80 फीसदी है। कुछ में तो यह 50 फीसदी से भी कम है। ऐसे में उनके ऑक्सीजन स्तर पर नजर रखना जरूरी हो जाता है। शुरुआती दिनों में. वे आसानी से सांस लेते रहते हैं लेकिन आने वाले दिनों में उनकी स्थिरी गंभीर हो जाती है।
बता दें पूरी दुनिया में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। ताजे आंकड़े के मुताबिक 74 लाख लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। वहीं 4 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि दुनियाभर भर में 100 से अधिक वैज्ञानिक कोरोना वेक्सीन की खोज में लगे हुए हैं।
Published on:
11 Jun 2020 08:52 pm
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