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ये हैं भगवान श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां, इनमें से दो को जबरदस्ती भरी सभा से उठाकर की थी शादी

भगवान श्रीकृष्ण की 16,108 रानियां थीं। इनके अलावा उनकी 8 पटरानियां भी थीं। आज हम आपको इन 8 पटरानियों के बारे में बताने जा रहे हैं।  

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Arijita Sen

Sep 01, 2018

ये हैं भगवान श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां

ये हैं भगवान श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां, इनमें से दो को जबरदस्ती भरी सभा से उठाकर की थी शादी

नई दिल्ली। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार इस बार 2 सितंबर को मनाया जाएगा। इस बार श्रीकृष्‍ण की 5245वीं जयंती मनाई जाएगी। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की कोई सीमा नहीं है। श्रीकृष्ण और राधा की कहानी तो जगजाहिर है।भगवान श्रीकृष्ण की 16,108 रानियां थी यह बात भी लोगों को पता है। इनके अलावा उनकी 8 पटरानियां भी थीं। जन्माष्टमी के इस पावन अवसर पर हम आपको इन 8 पटरानियों के बारे में बताने जा रहे हैं।

सबसे पहले बात करते हैं रुक्मणी के बारे में जो भगवान कृष्ण की पहली पत्नी थीं। रुक्मणी मां लक्ष्मी का अवतार थीं। विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणी को भागकर कृष्ण से विवाह करना पड़ा क्योंकि उनका भाई रुक्मी इस विवाह के खिलाफ था। इसलिए उन्हें भागकर शादी करनी पड़ी। दोनों के दस पुत्र हुए।

अब बात करते हैं भगवान कृष्ण की दूसरी पत्नी जामवंती के बारे में। जामवंती जामवंत जी की पुत्री थीं और जामवंत भगवान कृष्ण के भक्त थे। एक बार श्रीकृष्ण पर मणि चुराने का आरोप लगा। इस आरोप को झूठा प्रमाणित करने के लिए उन्होंने खुद ही मणि को तलाशना शुरू कर दिया। उन्हें पता चला कि वह मणि उनके पूर्व जन्म के भक्त जामवंत के पास है। जामवंत पहले पहल श्रीकृष्ण को पहचान नहीं पाए और इसी चक्कर में दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ, लेकिन जब बाद में जामवंत को श्रीकृष्ण में भगवान राम का रूप दिखा तो उन्होंने उन्हें मणि लौटा दी और अपनी बेटी जामवंती का हाथ उनके हाथों में दे दिया।

सत्यभामा कृष्ण की तीसरी पत्नी थीं। सत्यभामा सत्राजित की पुत्री थीं। जिस मणि को चुराने का आरोप कृष्णजी पर लगा था, वह मणि सत्राजित की ही थी। जब कृष्णजी को जामवंत से मणि वापस मिला तो वह उस मणि को लौटाने सत्राजित के पास गए। इस बात पर सत्राजित लज्जित हुए। उन्होंने माफी स्वरूप अपनी बेटी सत्यभामा का विवाह कृष्णजी से करवा दिया।

सूर्यदेव की पुत्री कालिंदी भगवान कृष्ण की चौथी पत्नी थीं। कालिंदी ने श्रीकृष्ण को अपने पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रभू ने उनसे शादी की।

सत्या भगवान कृष्ण की पांचवी पत्नी थीं। सत्या के पिता राजा नग्नजित ने एकबार अपनी बेटी की इच्छा को पूरा करने के लिए स्वयंवर सभा का आयोजन किया। इसमें इस बात की शर्त रखी गई कि जो भी सात पागल सांडो को एक ही अखाड़े में नाथेगा, वही सत्या का पति होगा। कृष्णजी ने इस शर्त को पूरा किया और उनकी शादी सत्या से हो गई।

उज्जैन के राजा विंद और अनुविंद की बहन मित्रविंदा भगवान कृष्ण की छठवीं पत्नी थीं। विंद और अनुविंद ये दोनों ही दुर्योधन के अनुयायी थे। मित्रविंदा के विवाह एक बार स्वयंबर का आयोजन किया गया। मित्रविंदा कृष्ण को ही पतिस्वरूप चुनना चाहती थीं हालांकि विंद और अनुविंद ने अपनी बहन से ऐसा करने से रोका। तब श्रीकृष्ण बल पूर्वक मित्रविंदा को स्वयंवर से उठाकर ले गए।

रोहिणी कृष्ण की सातवीं पत्नी थीं। एक स्वयंवर में रोहिणी ने श्रीकृष्ण को अपना पति चुना था।

भगवान कृष्ण की आठवीं पत्नी लक्ष्मणा थीं।इन्होंने भी स्वयंवर के दौरान कृष्णजी के गले में वरमाला पहनाकर उन्हें अपना पति चुना था।