
नई दिल्ली।अयोध्या पर फैसले से पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी और डीजीपी ओपी सिंह को तलब किया है। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रियों से अयोध्या पर फैसले के मद्देनजर बयानबाजी से बचने की अपील की थी। वहीं इतिहास में कई ऐसे बयान सामने आए थे जिनसे बवाल खड़ा हो गया था।
राममंदिर को लेकर आए कई बयानों में एक बंदर को भी जगह मिली थी। उस समय फैज़ाबाद के जिला जज कृष्णमोहन पांडेय ने 1991 में छपी अपनी आत्मकथा में खुलासा किया था कि- 'जिस दिन वे ताला खोलने का आदेश लिख रहे थे, उस दिन उनकी अदालत की छत पर एक काला बंदर बैठा हुआ था। उनका कहना था उस दिन पूरा समय वह बंदर अदालत में लगे फ्लैग पोस्ट को पकड़कर बैठा रहा।'
'वो काला बंदर कर रहा था जज का पीछा!'
जज कृष्णमोहन पांडेय 'जो लोग उस दिन फैसला सुनने आए थे वे पूरा दिन उसे खाना और मूंगफली देते रहे लेकिन पूरे दिन उस बंदर ने कुछ नहीं खाया। जज ने बताया कि 'जैसे ही उन्होंने ताला खुलने का आदेश सुनाया बंदर वहां से चुपचाप चला गया।' अपनी आत्मकथा में वे लिखते हैं की- "जब मैं फैसला सुनाकर अपने घर पहुंचा तो वही काला बंदर मेरे बरामदे में बैठा मिला। मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने उसे प्रणाम किया। वह कोई दैवीय ताकत थी।" ये वही बंदर था जिसे देखने के बाद फैज़ाबाद के जिला जज कृष्णमोहन पांडेय ने ताला खोलने का आदेश दे दिया। याचिकाकर्ता उमेश चंद्र पांडेय का कहना था कि वे उस रात जज साहब सो नहीं पाए और पूरी रात जन्मस्थान में कीर्तन करते हुए गुजारा।
Published on:
08 Nov 2019 12:17 pm
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