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इस स्कूल से दिन-ब-दिन गायब हो रहे थे बच्चे, टीचर ने किया ऐसा कारनामा कि…

Published: Jul 10, 2018 02:55:34 pm

Submitted by:

Priya Singh

शिष्यों के सफल होने के पीछे सबसे बड़ा हाथ शिक्षक का होता है। सांसारिक अथवा पारमार्थिक ज्ञान देने वाले व्यक्ति को गुरु कहा जाता है।

for students karnataka udupi teacher becomes bus driver

इस स्कूल से दिन-ब-दिन गायब हो रहे थे बच्चे, टीचर ने किया ऐसा कारनामा कि…

नई दिल्ली। किसी भी क्षेत्र में मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु शिक्षक का होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। शिष्यों के सफल होने के पीछे सबसे बड़ा हाथ शिक्षक का होता है। सांसारिक अथवा पारमार्थिक ज्ञान देने वाले व्यक्ति को गुरु कहा जाता है। कर्नाटक के उडूपि जिले एक शिक्षक सबके लिए मिसाल बनकर सामने आए हैं। उडूपि जिले के बाराली गांव के बाराली सरकारी स्कूल के टीचर का नाम राजाराम है। अब हम आपको बताते हैं ये लोगों के लिए मिसाल कैसे बने। आपको बता दें राजाराम शिक्षक के साथ-साथ ड्राइवर की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वो शिक्षक के साथ-साथ ड्राइवर की भूमिका इसलिए निभा रहे हैं क्योंकि कई बच्चों के माता-पिता बच्चे को सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ाना चाहते क्योंकि वहां बस ट्रासपोर्ट की सुविधा नहीं है जिसकी वजह से बच्चों के माता-पिता उन्हें सरकारी के बजाए प्राइवेट स्कूलों में डाल रहे हैं।

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शिक्षक राजाराम ने इस परिस्थिति को देखते हुए ऐसा कदम उठाया है जिसे लोग सोशल मीडिया पर खूब सराह रहे हैं। उन्हें उनके बच्चों के भविष्य की चिंता सत्ता रही थी जिसके लिए उन्होंने इस दिक्कत का यह हल निकाला। उन्होंने इस दिक्कत को स्कूल के पुराने छात्रों से साझा किया जिसके बाद उन्होंने स्कूल के लिए बस खरीदी। राजाराम ड्राइवर को अलग से तनख्वाह देने की स्थिति में नहीं थे तो उन्होंने खुद ही डाइविंग का काम शुरू कर दिया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उनके स्कूल में केवल 4 ही शिक्षक हैं। राजाराम का कहना है कि उनका घर स्कूल से काफी पास है उन्होंने सोचा क्यों ना वो ही इसकी जिम्मेदारी निभाएं। बच्चों को असुविधा न हो इसके लिए उन्होंने बस खुद चलाने की सोची।

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शिक्षक राजाराम के इस सराहनीय कदम की वजह से अब इस स्कूल में बच्चों की संख्या 50 से 90 हो गई है। मिली जानकारी के अनुसार राजाराम गणित और विज्ञान के शिक्षक हैं। राजाराम ने बताया कि बच्चों को रोज 5 से 6 किलोमीटर पैदल आना पड़ता था जिसकी वजह से स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बहुत कम हो गई थी। राजाराम के इस कदम से इस गांव के बच्चे आज स्कूल जाने की सुविधा मिली है राजाराम स्कूल के बच्चों के चहीते शिक्षक थे और इस सराहनीय काम के बाद वे सबसे चहीते शिक्षक हो गए हैं।

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