होली के दिन भूलकर भी ना करें ये 10 काम, वरना पड़ जाएंगे लेने के देने
दरअसल,मथुरा (Mathura) के पास स्थित गांव फालैन के लोगों का मानना है कि ये प्रहलाद का गांव है। जिसके चलते यहां के लोग बड़े धूम धाम से होली का त्योहार मनाते हैं। यहां आज भी एक पुजारी होलिका दहन पर जलती हुई होली के बीच से निकलता है, लेकिन आग उसे जलाती नहीं है। इस गांव में ये परंपरा कई सदियों से चलती आ रही है। इतना ही नहीं होलिका दहन के दिन गांव में मेला भी लगता है। जिसे देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग आते हैं।मुगल होली को कहते थे ‘ईद-ए-गुलाबी’, जानें Holi से जुड़ी मान्यताएं
इसी गांव के रहने वाले रामू बताते हैं कि ये गांव हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद का गांव है। बहुत साले पहले एक संत ने यहां तपस्या की थी।जिसके बाद उन्हें स्वप्न आया कि एक पेड़ के नीचे मूर्ति दबी हुई है। इसके बाद उस जगह की खुदाई की गई। इस खुदाई में भगवान नरसिंह और भक्त प्रहलाद की मूर्ति निकली। इसके बाद संत ने गांव वालों से कहा जो भी होली पर इस परिवार का जो भी सदस्य पूरी ईमानदारी और आस्था से भक्ति करेगा, उसे भक्त प्रहलाद की विशेष कृपा मिलेगी और वह जलती हुई होली से निकल सकेगा।