
जब जन्नत की चाह में हजारों लोगों ने दे दी अपनी जान, हैरान कर देंगे बुराड़ी जैसे ये केस
नई दिल्ली: बुराड़ी के एक घर में हुई 11 मौतों का रहस्य अभी तक तक सामने नहीं आ पाया है। मौत की गुत्थी हत्या और आत्महत्या के बीच उलझी हुई है। कई ऐसे सबूत मिले हैं, जिनसे शक की सुई सामूहिक आत्महत्या की ओर घूम रही है। अगर ये वाकई में सामूहिक आत्महत्या है तो बता दें कि ये कोई ऐसा पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी इस तरह मौत के कई खौफनाक मामले सामने आ चुके हैं।
एक साथ 918 लोगों ने की थी आत्महत्या
दक्षिण अमेरिका के गुयाना का जोन्सटाउन। ये नाम आते ही आज भी लोगों के मन में सिहरन पैदा हो जाती है। 18 नवंबर, 1978 को 918 लोगों ने एक साथ सायनाइड खाकर अपनी जान दे दी थी। मरने वालों में 276 बच्चे भी शामिल थे। ये सभी एक धार्मिक पंथ पीपल्स टेंपल ग्रुप को मानने वाले थे। इस पंथ की स्थापना करने वाले जिम जोंस ने भी आत्महत्या कर ली थी।
दुनिया के पाखंड से बचने के लिए 74 लोगों ने दी जान
1994 से 1997 तक ऑर्डर ऑफ द सोलर टेंपल नाम के धार्मिक पंथ के 74 लोगों ने अपनी जान दी थी। नोट में लिखा था कि वे लोग इस दुनिया के पाखंड और दमन से बचने के लिए आत्महत्या कर रहे हैं। इन लोगों ने कहा था कि वे सभी मौत के बाद जन्नत में चले जाएंगे।
ट्रेन के नीचे लेटकर दी थी जान
साल 2007 में बांग्लादेश में आदम पंथ के 9 लोगों ने ट्रेन के नीचे लेटकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया था। इस वजह से उन्हें प्रताड़ित किया गया, वह मरने को मजबूर हो गए।
अलग-अलग वजहों से हजारों लोगों ने की आत्महत्या
साल 1945 में जर्मनी में हजारों लोगों ने आत्महत्या कर ली थीं, इन मौतों की वजह अलग—अलग थी। बताया जाता है कि इनमें से एक वजह जर्मनी की द्वितीय विश्व युद्ध में हार भी इन सामूहिक आत्महत्याओं का कारण थी। उन्होंने साइनाइड कैप्सूल खाकर सामूहिक आत्महत्या की थी।
Published on:
02 Jul 2018 02:48 pm
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