
Nirbhaya culprits
नई दिल्ली: जब कोई व्यक्ति जघन्य अपराध करता है, तो उसे कानून के हिसाब से सजा दी जाती है। इसी में से एक सजा है 'फांसी'। इन दिनों देश में फांसी की खबरें इसलिए भी ज्यादा चर्चा में है क्योंकि लोग निर्भया ( Nirbhaya Case ) के चारों दोषियों को फांसी देने की मांग कर रहे हैं। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि अगर किसी दोषी को फांसी देते समय फांसी का फंदा टूट जाए, तो फिर क्या होता है? चलिए आपको इस बारे में बताते हैं।
दरअसल, गले में रस्सी के कसने के कारण जो मौत हो जाती है या दी जाती है उसे फांसी कहा जाता है। इन फांसियों को देने के लिए जेलों में कर्मचारी होते हैं, जिन्हें 'जल्लाद' कहा जाता है। वहीं पवन से इस बारे में पूछा गया कि अगर किसी दोषी को फांसी देते समय फांसी ( hanging ) का फंदा टूट जाए, तो फिर क्या होता है? इसका जवाब देते हुए पवन ने कहा कि 'एक बार जब फांसी का वक्त मुकर्रर हो गया और फांसी के तख्ते तक कैदी पहुंच गया तो फिर फांसी होकर ही रहती है। भारत में आज तक ऐसा नहीं हुआ कि यहां की जेल में कोई फांसी के तख्ते तक पहुंचा हो और वो बच गया हो।' वहीं फांसी की प्रक्रिया पर पवन बताते हैं कि जब फांसी की तारीख तय हो जाती है, तो हमें एक दिन पहले जेल में बुलाया जाता है। हमारे दिमाग में ये चल रहा होता है कि कैदी के पैर कैसे बांधने हैं, रस्सी कैसे बांधनी है। पूरी रात हमें नींद नहीं आती। लगता है कि ये कयामत की रात है।
वहीं कैदी के साथ किया जाता है तो इस पर पवन बताते हैं कि कैदी को फांसी की जगह पर लाने से पहले उसके हाथ में या तो हथकड़ी डाली जाती है या फिर उसके हाथों को पीछे की तरफ रस्सी से बांधा जाता है। दो सिपाही उसे बैरक से फांसी वाली जगह तक 15 मिनट पहले लाना शुरू कर देते हैं। उस वक्त दोषी के पैर कांप रहे होते हैं। वहीं पवन बताते हैं कि पूरी प्रक्रिया इशारों में होती है। मतलब कि कैदी के आने के बाद कुछ नहीं बोला जाता। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि कैदी कोई ड्रामा न करें या फिर वो डिस्टर्ब न हो जाए। अब तक पवन ने 25 लोगों को फांसी दी है। ऐसे में लगभग माना यही जा रहा है कि निर्भया के दोषियों को भी फांसी पवन ही देंगे। हालांकि, इसके बारे में अभी कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। लेकिन जेल प्रशासन उनके संपर्क में जरूर है।
Published on:
18 Dec 2019 11:10 am
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