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एक बंदर ने 9 साल की रेलवे में सरकारी नौकरी; मिलती थी सैलरी, जानिए उसे जॉब मिलने की दिलचस्प कहानी

Jack The Baboon With A Government Job: आजकल इंसानों को सरकारी नौकरी पाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। पर क्या आपको पता है कि कई साल पहले एक बंदर को सरकारी नौकरी मिल गई थी। उस बंदर को नौकरी करने के बदले सैलरी भी मिलती थी। आइए जानते हैं उस बंदर को नौकरी मिलने और 9 साल तक उसके नौकरी करने की दिलचस्प कहानी के बारे में।

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Jack The Baboon working on railway station as signal man

आपने कई लोगों को अपने घर में जानवरों/पक्षियों को पालते हुए देखा होगा। ज़्यादातर लोग घरों में डॉग्स को पालना पसंद करते हैं। लेकिन आपने कुछ लोगों को बंदर पालते हुए भी देखा होगा। बंदर बहुत समझदार होते हैं। बहुत से इंसान सदियों से अपने कामों के लिए जानवरों का इस्तेमाल करते आए हैं। पर क्या आपने किसी जानवर को नौकरी करते देखा है और वो भी सरकारी नौकरी? आजकल इंसानों को ही सरकारी नौकरी मिलने में काफी दिक्कत होती है। ऐसे में एक बंदर का सरकारी नौकरी करना सुनने में अजीब ज़रूर लग सकता है, पर यह सच है। आज हम आपको ऐसे ही एक बंदर की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने कई सालों तक रेलवे में सरकारी नौकरी की और इसके लिए उसे सैलरी भी मिली।


ट्रेन एक्सीडेंट में पैर गंवाने के बाद मिला बंदर

यह बात साल 1870 के आसपास की है। साउथ अफ्रीका के केप टाउन शहर के पास न्पजमदींहम नाम का रेलवे स्टेशन था। इस रेलवे स्टेशन पर जेम्स वाइड नाम का एक व्यक्ति सिग्नल-मैन की नौकरी करता था। एक ट्रेन एक्सीडेंट में जेम्स ने अपने दोनों पैर खो दिए। इस एक्सीडेंट के बाद से जेम्स को काम करने में परेशानी आने लगी। इस परेशानी से बचने के लिए जेम्स ने नकली पैर भी लगवाएं, पर इसका उसे कोई फायदा नहीं मिला।

एक दिन जेम्स की नज़र पास के ही एक कस्बे में एक लंगूर पर पड़ी। वो लंगूर एक गाड़ी को हांक रहा था। यह देखकर जेम्स काफी प्रभावित हुआ और उसने उस लंगूर के मालिक से बात करके उसे खरीद लिया। जेम्स ने उस लंगूर का नाम जैक रखा।

लंगूर को सिखाया काम करना

जेम्स ने अपने लंगूर जैक को काम करना सिखाने की ठान ली। जैक एक समझदार लंगूर था और घर के कामों में जेम्स की मदद करता था। जेम्स की ट्रेनिंग की वजह से उसके लंगूर जैक ने जल्द ही रेलवे स्टेशन पर सिग्नल चेंज करने का काम सीख लिया। शुरुआत में जैक को रेलवे स्टेशन पर सिग्नल चेंज करने के लिए जेम्स के इशारे की जरूरत पड़ती थी। लेकिन बाद में उस लंगूर ने स्टेशन पर आने वाली ट्रेनों की सीटी की आवाज़ सुनकर ही रेलवे सिग्नल चेंज करना शुरू कर दिया। इससे जेम्स का काम आसान हो गया।


अधिकारियों को पता चला तो जेम्स की हुई नौकरी से छुट्टी

एक रेलवे स्टेशन का सिग्नल अगर कोई लंगूर चेंज करे, तो यह बात ज़्यादा समय तक छिपाई नहीं जा सकती। न्पजमदींहम रेलवे स्टेशन के अधिकारियों को जब इस बात का पता चला, तो उन्होंने जेम्स को नौकरी से निकाल दिया।

लंगूर ने किया नौकरी का टेस्ट पास

नौकरी से निकाले जाने के बाद जेम्स ने रेलवे अधिकारियों से जैक की काबिलियत का टेस्ट करने की मिन्नतें की। जेम्स की बात मानकर रेलवे अधिकारियों ने जैक का टेस्ट लेने का फैसला लिया। जैक इस टेस्ट में पास हो गया। इससे रेलवे अधिकारियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने जेम्स को नौकरी पर फिर से रख लिया और जैक को काम करने की इजाज़त भी दे दी। रेलवे अधिकारियों ने जैक को आधिकारिक तौर पर रेलवे में नियुक्त कर लिया और उसे रोज़गार नंबर भी दे दिया।

मिलती थी सैलरी

जैक को सिग्नल-मैन की नौकरी करने पर अलग से सैलरी भी मिलने लगी। सैलरी के तौर पर जैक को हर दिन 20 सेंट और बीयर की आधी बोतल हर हफ्ते के हिसाब से सैलरी दी जाने लगी।

सरकारी नौकरी करने वाला पहला और आखिरी लंगूर

रेलवे में आधिकारिक रूप से सरकारी नौकरी करने वाला जैक पहला और आखिरी लंगूर था। जैक ने 9 साल तक न्पजमदींहम रेलवे स्टेशन पर सिग्नल चेंज करने की नौकरी की। इस दौरान जैक ने कभी भी कोई छुट्टी नहीं ली और न ही काम करने के दौरान कोई गलती की। 1890 में जैक की टीबी से मौत हो गई थी।

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