
Kanpur encounter: Who is Vikas Dubey
नई दिल्ली। UP के कानपुर (Kanpur Shootout) में डीएसपी सहित 8 पुलिसकर्मियों को घेरकर उनकी बेरहमी से हत्या कर फरार गैंगस्टर विकास दुबे को MP Police ने उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से गिरफ्तार (Vikas Dubey Arrest) किया है। विकास दुबे की गिरफ्तारी से पहले, उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh Police) ने उनके कई सहयोगियों को गिरफ्तार किया था और कुछ मुठभेड़ में मारे भी गए थे। इस दौरान पुलिस ने कई जगह विकास दुबे की तलाश की, लेकिन जहां-कहीं भी पुलिस पहुंचती, वह पहले ही फरार हो चुका होता था। लगभग 50 टीमें उसकी तलाश में थी लेकिन वे सबसे बचते हुए वाया फरीदाबाद, उज्जैन पहुंच गया। जानकारों का कहना है कि उसने सोच समझ कर सरेंडर किया है क्योंकि उसे पता था कि अगर वे UP Police के हाथ लग गया तो उसका एनकाउंटर (Encounter )पक्का था।
कौन है विकास दुबे ?
विकास दुबे (Vikas Dubey) पर अपराधों के संगीन आरोप हैं । इसके साथ ही उसपे दर्जनों मुक़दमे भी दर्ज हैं। केवल कानपुर के चौबेपुर थाने में विकास दुबे (Vikas Dubey) के ख़िलाफ़ कुल 60 मुक़दमे दर्ज हैं. इनमें हत्या और हत्या के प्रयास जैसे कई गंभीर मुक़दमे भी शामिल हैं। इसके बाद भी बिना किसी डर के अपना सम्रमाज्य चला रहा था। इसके पीछे की वजह उसका राजनीतिक दलों में अच्छी-ख़ासी पहुंच बताई जाती है।
बसपा सरकार में बनाई अपनी पहचान?
कहा जाता है कि विकास दुबे (Vikas Dubey) मायावती की बसपा सरकार के समय फला-फूला और आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हुए खूब पैसे भी बनाए। इसके बाद वे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी की सरकार आई तो उसने अपनी पहचान यहां भी बना ली। योगी सरकार बनने के बाद की बीजेपी की सरकार में भी उसने मेलजोल बढ़ाने की कोशिश की। वहीं कानपुर और आसपास के इलाकों में अपना बर्चस्व भी बढ़ाता रहा है।
गांव में करता था दादागिरी
जमीन की खरीद-फरोख्त हो, अवैध कब्जा हो या छिनैती समेत पैसे के लिए किसी का मर्डर करना, हर काम वह आसानी से करता गया और सबूत के अभाव में बचता गया। उसके डर से लोगों ने कभी उसके खिलाफ बयान ही दिया। लेकिन 8 पुलिसवालों के शहीद होने के बाद बाद वे Up Police का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया। साल 1990 से शुरू हुआ अपराध का सफर विकास दुबे (Vikas Dubey) का आपराधिकसफर साल 1990 से शुरू हुआ था। बिकरू गांव निवासी किसान के बेटे विकास ने पिता के अपमान का बदला लेने के लिए नवादा गांव के किसानों को पीटा था।
1992 में की थी पहली हत्या
साल 1992 में विकास दुबे ने अपने ही गांव के एक दलित युवक की निर्मम हत्या कर अपराध की दुनिया में पहला कदम रखा था। विकास के खिलाफ शिवली थाने में पहला मामला दर्ज हुआ था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और उसे जेल भेज दिया गया, लेकिन जल्द ही वह जमानत पर सलाखों से बाहर आ गया। इसके बाद से ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र में पिछड़ों की हनक को कम करने के लिए विकास को राजनीतिक खाद मिलता गया और छोटा सा गुंड़ा गैंगस्टर बनता गया। बताया जाता है कि उस वक्त पूर्व विधायक नेक चंद्र पांडेय ने विकास को संरक्षण दिया था। नेताओं से मेल जोल का आलम ये था कि उससे थाने पहुंचने से पहले ही थानेदार को किसी ना किसी नेता का फोन पहुंच जाता था ।
साल 2000 में किया मर्डर
समय के साथ-साथ विकास के अपराध की भी विकास होता गया। साल 2000 में उसनें इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडे को गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद से उसके खाते में एक एक करके कई अपराध जुड़ते चले गए। एक साल बाद यानी वर्ष 2001 में उसने दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला को शिवली थाने के भीतर गोली दी। लेकिन किसी पुलिस वाले ने उसके खिलाफ कोई बयांन नहीं दिया।
पुलिस की मुखबरी से गई 8 पुलिसवालों की जान
विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस की गैंगस्टर के साथ गोलाबारी में उत्तर प्रदेश पुलिस के आठ जवान शहीद हो गए।माना जा रहा है कि विकास को पहले से पता था कि पुलिस उसका एनकाउंटर करने आ रही है । हैरानी की बात ये हैं कि इसमें खुद दो पुलिवालों का नाम सामने आया है। इस पूरे में चौबपुर के पूर्व एसओ विनय तिवारी और बीट प्रभारी के.के शर्मा को गिरफ्तार किया गया है। मुठभेड़ के समय पुलिस टीम की जान खतरे में डालने और मौके से फरार होने और विकास दुबे से संबंध में दोनों को गिरफ्तार किया गया है। शक है कि ये दोनों गैंगस्टर के लिए मुखबिरी किया करते थे।
Published on:
09 Jul 2020 05:59 pm
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