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पांच हज़ार साल पुराना है गुरुवायुरप्पन मंदिर का इतिहास, आज पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां की है पूजा, जाने क्या हैं इसकी खास बातें

यह मंदिर भगवान कृष्णा का खास मंदिर है। ये मंदिर केरल के प्राचीन मंदिरों में से एक है। पीएम मोदी ने इस मंदिर में पहुँचकर भगवान कृष्ण की पूजा की।

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पांच हज़ार साल पुराना है गुरुवायुरप्पन मंदिर का इतिहास, आज पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां की है पूजा, जाने क्या हैं इसकी खास बातें

पांच हज़ार साल पुराना है गुरुवायुरप्पन मंदिर का इतिहास, आज पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां की है पूजा, जाने क्या हैं इसकी खास बातें

नई दिल्ली।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार 8 जून को केरल के गुरुवायुरप्पन कृष्ण मंदिर में भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना की जहां वे मंदिर की पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए। केरल के गुरुवायूर शहर में स्थित भगवान कृष्ण का यह मंदिर हज़ारों साल पुराना बताया जाता है।

आंकड़ों की बात की जाए तो यह मंदिर करीब 5 हजार साल पुराना है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए प्रधानमंत्री मोदी साल 2008 में भी इस मंदिर में आए थे और इस बार यह उनका दूसरा दौरा है। केरल में स्थित यह मंदिर भगवान कृष्ण का पहला मंदिर माना जाता है जिसे दक्षिण के द्वारका के नाम से भी लोग जानते हैं। केरल के त्रिशूर से यह मंदिर लगभग 29 कि.मी. की दूरी पर स्थित है और वहां के लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है।

पुराणों में भी इस मंदिर का जिक्र किया गया है। इस मंदिर के देवता भगवान कृष्ण हैं जो बालरूप में यहां विराजमान हैं। भगवान कृष्ण ने हाथों में शंख. चक्र, कमल का फूल लिया हुआ है। कहा जाता है कि हज़ारों साल पुराने केरल के इस प्राचीन कृष्ण मंदिर का निर्माण 1638 ईस्वी में दोबारा कराया गया था। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां केवल हिंदुओं को प्रवेश करने की अनुमति है अन्य धर्म के लोगों का प्रवेश यहां वर्जित है।

इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बहुत अधिक है इसलिए लोगों के बीच इसकी मान्यता की वजह से यह मंदिर भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। सुरक्षा की दृष्टि से भी इस मंदिर में खास इंतज़ाम किए गए हैं जिसके तहत यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मोबाइल और कैमरे ले जाने की इजाज़त नहीं है।

इस मंदिर के नाम के बारे में भी खास तौर पर बताया गया जिसके तहत गुरूवायुर शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है गुरु, वायु और ऊर जिसमें गुरु का मतलब बृहस्पति, वायु का मतलब भगवान और ऊर का मतलब भूमी है यानी इस मंदिर का निर्माण इन चीज़ों से हुआ माना जाता है।