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पांच हज़ार साल पुराना है गुरुवायुरप्पन मंदिर का इतिहास, आज पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां की है पूजा, जाने क्या हैं इसकी खास बातें

locationनई दिल्लीPublished: Jun 08, 2019 12:51:47 pm

यह मंदिर भगवान कृष्णा का खास मंदिर है।
ये मंदिर केरल के प्राचीन मंदिरों में से एक है।
पीएम मोदी ने इस मंदिर में पहुँचकर भगवान कृष्ण की पूजा की।

पांच हज़ार साल पुराना है गुरुवायुरप्पन मंदिर का इतिहास, आज पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां की है पूजा, जाने क्या हैं इसकी खास बातें

पांच हज़ार साल पुराना है गुरुवायुरप्पन मंदिर का इतिहास, आज पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां की है पूजा, जाने क्या हैं इसकी खास बातें

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार 8 जून को केरल के गुरुवायुरप्पन कृष्ण मंदिर में भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना की जहां वे मंदिर की पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए। केरल के गुरुवायूर शहर में स्थित भगवान कृष्ण का यह मंदिर हज़ारों साल पुराना बताया जाता है।

modi in temple

आंकड़ों की बात की जाए तो यह मंदिर करीब 5 हजार साल पुराना है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए प्रधानमंत्री मोदी साल 2008 में भी इस मंदिर में आए थे और इस बार यह उनका दूसरा दौरा है। केरल में स्थित यह मंदिर भगवान कृष्ण का पहला मंदिर माना जाता है जिसे दक्षिण के द्वारका के नाम से भी लोग जानते हैं। केरल के त्रिशूर से यह मंदिर लगभग 29 कि.मी. की दूरी पर स्थित है और वहां के लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है।

krishna temple in kerala

पुराणों में भी इस मंदिर का जिक्र किया गया है। इस मंदिर के देवता भगवान कृष्ण हैं जो बालरूप में यहां विराजमान हैं। भगवान कृष्ण ने हाथों में शंख. चक्र, कमल का फूल लिया हुआ है। कहा जाता है कि हज़ारों साल पुराने केरल के इस प्राचीन कृष्ण मंदिर का निर्माण 1638 ईस्वी में दोबारा कराया गया था। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां केवल हिंदुओं को प्रवेश करने की अनुमति है अन्य धर्म के लोगों का प्रवेश यहां वर्जित है।

guruvayur temple

इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बहुत अधिक है इसलिए लोगों के बीच इसकी मान्यता की वजह से यह मंदिर भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। सुरक्षा की दृष्टि से भी इस मंदिर में खास इंतज़ाम किए गए हैं जिसके तहत यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मोबाइल और कैमरे ले जाने की इजाज़त नहीं है।

old temple of lord krishna in kerala
इस मंदिर के नाम के बारे में भी खास तौर पर बताया गया जिसके तहत गुरूवायुर शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है गुरु, वायु और ऊर जिसमें गुरु का मतलब बृहस्पति, वायु का मतलब भगवान और ऊर का मतलब भूमी है यानी इस मंदिर का निर्माण इन चीज़ों से हुआ माना जाता है।
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