25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शूरवीर योद्धा महाराणा प्रताप की मृत्यु पर रोया था अकबर, इतिहास के पन्नों में दर्ज है उनके पराक्रम की कहानी

महाराणा प्रताप एक पराक्रमी राजपूत राजा थे। महाराणा का घोड़ा भी उन्ही के समान पराक्रमी था। मरते दम तक महाराणा प्रताप ने अकबर की गुलामी नहीं की।

2 min read
Google source verification

image

Nitin Sharma

May 09, 2019

maharana pratap

शूरवीर योद्धा महाराणा प्रताप की मृत्यु पर रोया था अकबर, इतिहास के पन्नों में दर्ज है उनके पराक्रम की कहानी

नई दिल्ली।भारत के इतिहास में जब भी पराक्रमी और शूरवीर राजाओं की बात होती है तो महाराणा प्रताप का नाम ज़रूर लिया जाता है। महाराण प्रताप अकेले ऐसे राजपूत राजा थे जिन्होनें मुगल बादशाह अकबर के अधीन रहना स्वीकार नहीं किया। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को राजस्थान में हुआ था और आज उनकी जन्म जयंती है। महाराणा प्रताप अपने पिता महाराणा उदय सिंह और मां महारानी जयवंता बाई की सबसे बड़ी संतान थे। महाराणा प्रताप धन-दौलत से ज्यादा मान-सम्मान को चाहते और उनकी इस बात पर मुगल दरबार के कवि अब्दुर रहमान ने लिखा कि 'दुनिया में एक दिन सब खत्म हो जाएगा धन-दौलत भी खत्म हो जाएगी लेकिन इंसान के गुण हमेशा जिंदा रहेंगे।'

राहुल गांधी का 'हमशक्ल' नहीं दिखना चाहता उनकी तरह, लुक बदलने के लिए कर रहा है ऐसा

छोटे भाई के लिए राज्य छोड़ने को भी हो गए थे तैयार

प्रताप सिंह के पिता उदय सिंह ने अपनी सबसे छोटी पत्नी के बेटे जगमल को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था और इस कारण महाराणा प्रताप मेवाड़ छोड़ने का फैसला कर लिया था। इस फैसले पर राज्य के सरदारों ने जनता ने विरोध कर दिया और प्रताप सिंह को राज्य का शासन देने का मांग करने लगे। राज्य की जनता की इच्छा का सम्मान करते हुए महाराणा प्रताप शासन संभालने को तैयार हुए और 1 मार्च, 1573 को मेवाड़ की राज गद्दी पर बैठे।

दिल्ली में मुगल शासक अकबर का राज था और अकबर सभी राजपूत राजाओं अपने अधीन करना चाहता। उस समय केवल महाराणा प्रताप ही ऐसे राजा थे जिन्होनें अकबर की गुलामी करने से इंकार कर दिया। प्रताप की तरह ही उनका घोड़े चेतक की बहादुरी की चर्चा भारतीय इतिहास में होती है। चेतक के बारे मे वीर रस की कविता 'चेतक की वीरता' में बखूबी बताया गया है। युद्ध के दौरान चेतक उन्हे पीठ पर लाद कर 26 फुट लंबे नाले को लाँघ गया था जिसे कोई मुगल घुड़सवार पार नहीं कर पाया था।

Ramadan 2019: खजूर से रोजा खोलने के पीछे है वैज्ञानिक कारण, मुसलमान भाई भी जानें क्या कहता है विज्ञान

महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर भी रोया था

मुगल शासक अकबर कभी भी महाराणा प्रताप को अपने अधीन नहीं कर पाया और जब 57 वर्ष की उम्र में 29 जनवरी, 1597 को अपनी राजधानी चावंड मे धनुष की डोर खींचते वक्त आँत में चोट लगने के कारण उनकी मृत्यु हो गई तो कहा जाता है कि अकबर इस खबर को सुनकर बहुत दुखी हुआ था। राणा प्रताप की देश भक्ति से वह इतना प्रभावित हुआ था कि महाराणा की मौत पर उसके भी आँसू निकल आए थे।