
surrogate mother
नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ( Shilpa Shetty ) ने हाल ही में सरोगेसी से मां बनने की खबर साझा की हैं। बॉलीवुड के कई स्टार शिल्पा से पहले भी सरोगेसी का सहारा लेकर पेरेंट्स बन चुके हैं। इस लिस्ट में आमिर खान, करण जौहर, एकता कपूर, जैसी कई नामचीन हस्तियां शामिल हैं।
सरोगेसी ( Surrogacy ) के लिए महिला के मेडिकल रूप से पूरी तरह फिट ( Fit ) होना बेहद जरूरी है। इसके लिए महिला के पास बकायदा हेल्थ फिटनेस ( Health Fitness ) का सर्टिफिकेट ( Certificate ) होना चाहिए, तभी वह सरोगेट मां ( Mother ) बन सकती है।
सरोगेसी दरअसल क्या है और इसका उपयोग क्यों किया जाता है। ऐसे सवाल अक्सर आपके जेहन में जरूर आते होंगे। सरोगेसी आमतौर पर ऐसे दंपतियों के लिए वरदान माना जाता है, जो अनगिनत कोशिशों के बावजूद निसंतान हैं। आइए जानते हैं कि आखिर सरोगेसी क्या होती है?
सरोगेसी क्या है?
सरोगेसी एक ऐसी तकनीक है। जिसके जरिए निसंतान लोग भी माता-पिता बन सकते हैं। कई लोगों ने सरोगेसी को अपने शब्दों में 'किराए की कोख' भी कहा है। सरोगेसी में एक महिला के शरीर में मेडिकल तकनीक की मदद लेकर पुरूष के स्पर्म को इंजेक्ट किया जाता है।
जिसके 9 महीने बाद एक स्वस्थ बच्चे का जन्म होता है। इस तकनीक में गर्भधारण करने वाली महिला का पूरे 9 महीने तक डॉक्टर्स अपनी देखरेख में रखते हैं, ताकि एक स्वस्थ बच्चे का जन्म हो सके। सरोगेसी की टेक्निक उन लोगों के लिए बनाई गई है जिन लोगों को खुद के बच्चे पैदा करने में मुश्किलें आती है।
कई बार किसी को बच्चे को जन्म देने में कठिनाई आती है, तो कभी बार-बार गर्भपात हो रहा हो या फिर बार-बार आईवीएफ तकनीक फेल हो रही हो ऐसे में जो महिला किसी और दंपती के बच्चे को अपनी कोख से जन्म देने को तैयार हो जाती है उसे ही सरोगेट मदर के नाम से जाना जाता है।
सरोगेसी में एक महिला और बच्चे की चाह रखने वाले कपल के बीच एक एग्रीमेंट साइन किया जाता है। जिसके तहत प्रेग्नेंसी से पैदा होने वाले बच्चे के कानूनन माता-पिता वो कपल ही होते हैं, जिन्होंने सरोगेसी कराई है। इस पूरे प्रोसेस के दौरान सरोगेट मदर को प्रेग्नेंसी अवधि तक अपना ध्यान रखने और मेडिकल जरूरतों के लिए पैसे दिए जाते हैं ताकि वो प्रेग्नेंसी के वक़्त में अपना ख्याल ठीक से रख सके।
सरोगेसी दो प्रकार की होती है
ट्रेडिशनल सरोगेसी ( Traditional Surrogacy )
इस सरोगेसी में होने वाले पिता का स्पर्म सरोगेसी अपनाने वाली महिला के एग्स से मैच कराया जाता है। इस सरोगेसी में जैनिटक संबंध सिर्फ पिता से रहता है।
जेस्टेंशनल सरोगेसी ( Gestational Surrogacy )
जेस्टेंशनल सरोगेसी में होने वाले माता-पिता के स्पर्म और एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब के जरिए कराने के बाद इसे सरोगेट मदर के यूट्रस में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इसे ही जेस्टेंशनल सरोगेसी कहते है।
सरोगेसी प्रक्रिया में खर्च
सरोगेसी एक बहुत महंगी प्रक्रिया है। सरोगेसी प्रक्रिया में खर्च 15 -20 लाख रूपए आसानी से लग जाते हैं। इसलिए इस तकनीक की पहुंच अभी भी ज्यादा लोगों तक नहीं है। लेेकिन इसके मंहगे होने के बावजूद लोगों की दिलचस्पी सरोगेसी में बढ़ती जा रही है।
सरकार ने सरोगेसी नियमों में की सख्ती
सरोगेसी का बढ़ता दुरुपयोग देखते हुए अब भारत में इससे जुड़े नियम तय कर दिए गए हैं। सरकार की तरफ से पैसे की चाह में कराई जा रही कॉमर्शियल सरोगेसी पर लगाम लगा दी गई है। साल 2019 सरोगेसी रेगुलेशन बिल ( Surrogacy Regulation Bill 2019 ) में कई नए नियम कानून बनाए गए हैं।
इसमें कॉमर्शियल सरोगेसी ( Comercial Surrogacy ) पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब सिर्फ मदद करने के लिए ही सरोगेसी का ऑप्शन खुला रह गया है। इसके साथ ही नए बिल में अल्ट्रस्टिक सरोगेसी को लेकर भी नियम-कायदों को सख्त कर दिया गया है।
Updated on:
22 Feb 2020 04:12 pm
Published on:
22 Feb 2020 03:59 pm
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