
नहीं हुई है 'अर्जुन' की मौत, भारत के इस स्थान पर आज भी करते हैं तीरअंदाजी
नई दिल्ली। हमारी जिंदगी में पौराणिक कथाओं का बहुत महत्व हैं। बचपन से हम रामायण, महाभारत के किस्से सुन—सुनकर बड़े हुए हैं। चाहें रामायण में रावण का वध हो या महाभारत में अर्जुन या कर्ण का किरदार, आज भी हमारे जेहन में तरोंताजा है। इन रोचक किस्सों में से एक है द्रौपदी के स्वयंवर में अर्जुन द्वारा शब्दभेदी बाण को चलाना। जिसमें पानी में मछली के प्रतिबिम्ब को देखकर अर्जुन ने उसके नेत्र को भेद दिया था। टेलीविजन के पर्दे पर भी हमने इस दृश्य को देखा है लेकिन बता दें अब आप इस दृश्य को वास्तव में देख सकते हैं।
जी हां, आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो अर्जुन से कम नहीं है। तीर चलाने में इन्हें महारत हासिल है।यह शख्स धनुर विद्या में इस हद तक माहिर है कि वह अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर तैरती हुई मछली की आंख पर भी निशाना साध सकता है, बिलकुल महाभारत के अर्जुन की तरह। इसी गुणों के चलते इन्हें आज का अर्जुन कहा जाता है।
बता दें हम यहां बात कर रहे हैं सुब्बाराव लिंगमगुंटला की जो आंध्रप्रदेश के रहने वाले हैं। 52 वर्षीय सुब्बाराव गंटुर जिले के अलवपल्ली गांव में पुजारी हैं।अपनी इस विधा के चलते वह अब कई बड़ी प्रतियोगिताओं में भी जीत हासिल चुके हैं। न केवल हाथों से बल्कि पैरों से भी सुब्बाराव निशाना साध सकते हैं।
सुब्बाराव से जब उनकी इस कला के बारे में पूछा जाता है तो उनका कहना था कि उन्हें यह गुण विरासत में मिली है। उन्होंने धनुर विद्या की शिक्षा अपने पिता से प्राप्त की है। सुब्बाराव कहते हैं कि अगर सरकार मुझे सहायता दें तो मैं आगे की पीढ़ियों को भी यह शिक्षा प्रदान करना चाहूंगा'। सुब्बाराव को जो कोई भी धनुष चलाते हुए देखता है वह दंग रह जाता है। वाकई में उनकी यह बात काबिले तारीफ है।
Updated on:
18 Jun 2018 05:57 pm
Published on:
18 Jun 2018 05:53 pm
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