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कच्ची मिट्टी के इस किले पर तोप के गोलों का भी नहीं होता है असर, जानें वजह

locationनई दिल्लीPublished: Feb 01, 2020 10:22:57 am

Submitted by:

Soma Roy

Lohagarh Fort in Bharatpur : 285 साल पहले किया गया था किले का निर्माण
किले का नाम लौहगढ़ है, यह राजस्थान के भरतपुर में है

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Lohagarh Fort in Bharatpur

नई दिल्ली। भारत में कई ऐसे ऐतिहासिक धरोहर हैं जो अपनी बनावट के लिए मशहूर है। ऐसा ही एक किला राजस्थान (Rajasthan) के भरतपुर में भी है। जिसे ‘लौहगढ़ (लोहागढ़) (Lohagarh Fort) का किला’ कहा जाता है। यह देश का एकमात्र ऐसा किला है जिसे कोई फतह नहीं कर सका है। बताया जाता है कि इस किले को इस तरह से बनाया गया है कि इस पर तोप के भारी-भरकम गोलों का भी असर नहीं होता है।
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इस किले का निर्माण 285 साल पहले सन 1733 को हुआ था। इसे जाट शासक महाराजा सूरजमल ने बनवाया था। इस किले को बनाते समय एक खास प्रयोग किया गया था, जिससे बारूद के गोले भी किले की दीवार को हिला न पाएं। निर्माणकर्ताओं ने किले को बनाने से पहले एक चौड़ी और मजबूत पत्थर की ऊंची दीवार बनाई गई। इसके बाद इन दीवारों के चारों ओर सैकड़ों फुट चौड़ी कच्ची मिट्टी की दीवार बनाई गयी। जिससे दोहरी सुरक्षा और मजबूती मिल सके। दुश्मन दीवार को पार न कर सके इसके लिए नीचे गहरी और चौड़ी खाई भी बनाई गई, जिसमें पानी भर दिया गया।
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चूंकि दीवार कच्ची मिट्टी की है और इसकी तासीर ठंडी होती है। इसलिए तोप के गोले इससे टकराते ही धंस जाते हैं और आग शांत हो जाती है। वहीं अगर दीवार को कोई चढ़कर पार करने की कोशिश करता तो वह पानी में गीला होकर दीवार पर फिसल जाता था। इस किले पर कब्जा करने के लिए अंग्रेजों ने 13 बार आक्रमण किया था। मगर हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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