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आखिर क्यों महात्मा गांधी को अपने ऑटोग्राफ 5-5 रुपये में बेचने पड़े थे, ये थी वजह

साल 1934 की ये बात है

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Mahatma Gandhi

नई दिल्ली: देश में कई ऐसे नेता, स्वतंत्रता सेनानी समेत कई चेहरे ऐसे हुए जिन्हें आज भी देश याद करता है। उनके काम ही इतने उत्तम थे कि कोई चाहते हुए भी उन्हें नहीं भूल सकता। इन्हीं में से एक नाम है महात्मा गांधी का। हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती के रुप में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं उनके जीवन में कुछ ऐसा भी हुआ, जिसके कारण उन्हें अपने ऑटग्राफ को 5-5 रुपये में बेचना पड़ा था।

क्या हुआ था ऐसा

वैसे तो बापू ने देश के कोने-कोने से लोगों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए एकजुट किया था। हालांकि, बापू ने हमेशा ही शांति का रास्ता चुना क्योंकि उनका मानना था कि प्यार और बातचीत से कई मुद्दे हल किए जा सकते हैं। वहीं साल 1934 में जब महात्मा गांधी बिहार के भागलपुर भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए पहुंचे, तो वहां उन्होंने कुछ ऐसा किया जिसे देखकर हर कोई उनको आज भी नमन करता है। दरअसल, यहां पहुंचकर बापू ने अपने ऑटोग्राफ लेने वालों से 5-5 रुपये लिए थे। इससे मिले पैसे को उन्होंने पीड़ितों को दिया था।

राहत कार्यों को देखने गए थे बापू

बिहार में भूकंप पीड़ितों के लिए कांग्रेस ने राहत कार्य चलाए थे। इन्हें देखने के लिए अप्रैल-मई 1934 में वो यहां गए। इस दौरा वो सहरसा से बिहरपुर होते हुए भागलपुर पहुंचे थे। भागलपुर आने के बाद गांधी दीपनारायण सिंह के घर ठहरे और लाजपत पार्क में लोगों को संबोधित करते हुए भूकंप पीड़ितों की मदद करने और राहत कार्य में सहयोग करने की अपील की थी। वहीं सभा में काफी लोग ऐसे थे जो गांधी जी के ऑटोग्राफ लेना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने उनसे 5-5 रुपये लेकर भूकंप पीड़ितों की मदद की, जिसे आज भी लोग सराहते हैं।